समाजवादी पार्टी की रार अब सड़कों पर आ गई है. रविवार को लेटर बम ने ऐसा तहलका मचाया कि इसकी जद में आये शिवपाल और रामगोपाल (mulayan singh) सहित 8 मंत्री लोगों को अपने पद से हाथ धोना पड़ गया.
बेटे के बगावती तेवर से हैरान मुलायम (mulayan singh):
मुख्यमत्री अखिलेश यादव दिन भर अपने सरकारी आवास 5 कालीदास मार्ग पर रहे. सुबह विधायकों के साथ एक बैठक भी किये. अखिलेश ने बता दिया कि वह अपने सियासी जीवन का फैसला कर चुके है. चाचा शिवपाल समेत चार मत्रियो की बर्खास्तगी की सूचना देने के बाद उन्होने बैठक शुरु की. जिसका युवा नेताओं ने जोरदार स्वागत किया। एक घंटा बैठक चली जिसमे पिता मुलायम के प्रति आस्था जाहिर करते हुये अखिलेश ने कहा कि वह सही औऱ गलत की लडाई लड रहे है औऱ फसाद की जड अमर सिंह है. अखिलेश समर्थकों ने अमर सिंह के खिलाफ नारे लगाए उनका पोस्टर जलाया और उन्हें दलाल तक कह डाला।
शिवपाल ने भी दिखाई अपनी ताकत:
शिवपाल की बर्खास्तगी के बाद समाजवादी पार्टी में सुनामी आ चुकी थी. मुलायम सिंह यादव को समझ नही आ रहा था कि ये सब क्या होने लगा. उन्होंने सोमवार के दिन प्रदेश के सभी बड़े नेताओं को एक बैठक में बुला लिया है. ऐसा माना जा रहा है कि सोमवार का दिन समाजवादी पार्टी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन साबित होने वाला है. अखिलेश द्वारा बर्खास्त किये जाने के बाद शिवपाल ने तुरंत रामगोपाल यादव को निशाने पर लेते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यही नही उन्हें बीजेपी का एजेंट बताते हुए शिवपाल ने कहा कि ये पार्टी को तोड़ना चाहते हैं और इसके लिए काफी समय के षङयंत्र रच रहे थे.
- अब रामगोपाल यादव, जो कि मुम्बई में हैं अभी.
- उन्होंने कहा कि पार्टी से निकाले जाने का दुःख नही है.
- बल्कि उनपर गलत आरोप लगाया गया है, इस बात से वो खिन्न हैं.
- अब जबकि सभी एक दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं ऐसे में नेताजी को ही अंतिम फैसला लेना होगा.
- अखिलेश यादव के सुर अब नेताजी से मिल नहीं रहे हैं.
- ये माना जा रहा है कि अब अखिलेश किसी प्रकार के समझौते के पक्ष में नहीं है.
- शिवपाल यादव द्वारा रामगोपाल यादव को पार्टी से निकालना भी इस बात का संकेत है कि शिवपाल भी इस दफे नरमी के मूड में नहीं हैं.
अंतिम फैसला लेंगे मुलायम:
- अब सोमवार का दिन सपा प्रमुख के लिए काम चुनौती भरा नही होने वाला है.
- एक तरफ उनके भाई तो दूसरी तरफ उनका बेटा। फैसला चाहे जो भी रहे ये तो कल मालूम हो जायेगा.
- लेकिन यूपी की सियासत ने पिछले कुछ महीनों में जो उतार-चढाव देखें हैं.
- ये सब इतिहास में दर्ज होने को बेताब हैं.