नगरोटा आतंकी हमले में 7 जवान शहीद हुए. जिसके बाद एक बार फिर से सरकार की नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं. इंटेलीजेन्स ब्यूरो को इन आतंकियों के आने की खबर क्यों पता नही चल पायी. सीमा पर लगातार सीज फायर का उल्लंघन कर रहे पाक को लेकर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई? हालाँकि सेना ने कई मौकों पर आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम किया है. लेकिन उरी हमले हमले के दौरान भी ऐसे ही हमले में 20 जवान शहीद हुए थे. इस हमले का बदला सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करके लिया था.
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बौखलाया पाकिस्तान लगातार बॉर्डर पर गोलीबारी करता रहा है. सेना इसका मुंहतोड़ जवाब भी देती रही है. लेकिन फिर भी इंटेलिजेंस इनपुट पर सवाल उठाना लाजिमी है. सेना के कैंप पर आतंकी हमले को नजरंदाज नही किया जा सकता है. इन्ही बातों को लेकर संसद के दोनों सदनों में आज हंगामा हो रहा है.
विपक्ष ने सरकार पर हमला किया है. मायावती ने कहा है कि आतंकियों से निपटने में केंद्र सरकार नाकाम रही है. देश के जवान शहीद हो रहे हैं. पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नही आ रहा है. नगरोटा हमले के बाद आज सदन के दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ है. जिसके कारण राज्य सभा को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
शहीद होने वाले जवान:
- 29 नवम्बर को जम्मू-कश्मीर के नगरोटा सेक्टर में आतंकी हमला हुआ था.
- जिसमें भारतीय सेना के 7 जवान शहीद हो गये थे.
- मेजर गोसावी कुनाल मन्नादिर, जो पंढ़ारपुर, महराष्ट्र के रहने वाले थे.
- मेजर अक्षय गिरीश कुमार, जो कोरामंगला, बंगलुरु के रहने वाले थे.
- हवलदार सुखराज सिंह, जो गांव: माननगर, गुरुदासपुर के रहने वाले थे.
- लांस नायक कदम संभाजी यशवंत, जो महाराष्ट्र के जनापुरी गांव के रहने वाले थे.
- ग्रेनेडियर राघवेन्द्र सिंह, जो गडीजातार, राजस्थान के रहने वाले थे.
- राइफलमैन असीम राय, जो गांव रतनछा, पो: खोटांग, नेपाल के रहने वाले थे.