नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी द्वारा गंगा के तट पर रिवर राफ्टिंग कैम्प लगाने की इजाजत दे दी गयी है. यह मांग एक ही शर्त पर मानी गयी है कि कैम्प तट से सौ मीटर की दूरी पर होना चाहिए. उत्तराखंड सरकार और वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर इजाज़त मांगी थी.
33 साईट के लिए मांगी गयी इजाजत
- उत्तराखंड सरकार और वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने
- 33 साइट्स पर कैम्प लगाने की इजाज़त मांगी थी.
- लेकिन कोर्ट ने केवल 25 साइट्स पर कैम्पिंग की इजाजत दी है.
- सौ मीटर से कम दूरी पर स्थित कैम्पस को इजाजत नहीं मिली है.
- साल 2015 डिसेम्बर में कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए रोक लगायीं थी.
- इसका कारण पर्यावरण को हो रहा नुकसान बताया गया था.
- कुछ समय में ही दो सौ से अधिक राफ्टिंग कैंप का निर्माण हुआ था.
- इस कारण आस पास का पर्यावरण प्रभावित हो रहा था.
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जारी नियमों का पालन भी नहीं हो रहा था.
वातावरण प्रदूषित होना कारण
- कोर्ट से याचिका की गयी थी कि बढ़ते कैम्पों के चलते आस पास कूड़ा जमा हो रहा था.
- जिससे नदी और आस पास का इलाका दूषित हो रहा है.
- खैर कोर्ट ने नदी किनारे प्लासिक के प्रयोग पर पूरी तरह रोक लगा रखी है.
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