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‘आयुष्मान भारत’ के तहत 50 करोड़ लोगों को कैसे मिलेगा लाभ,पूरी खबर..

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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एक फ़रवरी को बजट में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए बड़े ऐलान किए थे. सरकार ने 1200 करोड़ रुपए खर्च कर एक नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम शुरू करने का ऐलान किया जिसमें 10 करोड़ लोगों को जोड़ा जाएगा. वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि आयुष्मान भारत प्रोग्राम भी शुरू किया जाएगा और इसके तहत देशभर में 1.50 लाख हेल्थ सेंटर बनाकर दवा और जांच की मुफ्त सुविधा दी जाएगी. अगर इस आंकड़े पर गौर किया जाये तो देश की करीब 40 फीसदी यानी लगभग 50 करोड़ आबादी के इलाज का खर्च सरकार उठाने जा रही है.

बजट में हेल्थ स्कीम का ऐलान

वित्त मंत्री ने हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम की घोषणा की जो ट्रस्ट मॉडल या इंश्योरेंस मॉडल पर काम करेगा. उन्होंने रीईंबर्स मॉडल की संभावना को यह कहते हुए खारिज कर दी कि इसमें बहुत गड़बड़ियां होती हैं.सरकार के ऐलान के मुताबिक, गरीब मरीजों का इंश्योरेंस किया जाएगा और उनका कैशलेस इलाज हो सकेगा. यानी इसमें इलाज कराकर इलाज में छूट की रकम के लिए चक्कर लगाने से लोगों को मुक्ति मिल सकती है. इसके विभिन्न पहलुओं को समझने की जरुरत है कि आखिर विश्व की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम है क्या और ये कैसे काम करेगी.

क्या है हेल्थ स्कीम?

बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नई योजना नए वित्त वर्ष के आगाज यानी 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी. यानी, गरीब परिवारों के लोग 1 अप्रैल से 5 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त में करवा सकेंगे, इसके तहत गरीब परिवार न केवल सरकारी बल्कि प्राइवेट अस्पतालों में भी इलाज करवा सकेगा. इसके लिए सरकार उन अस्पतालों को चिन्हित करेगी जहाँ लोग कैशलेस इलाज कराकर इसका लाभ ले सकेंगे. वित्त मंत्री जेटली ने बजट भाषण में कहा कि शुरुआती चरण के बाद इस योजना का विस्तार कर देश की बाकी बची आबादी के लिए भी किया जा सकता है. जैसा कि बताया जा चुका है ये स्कीम करीब 50 करोड़ लोगों को लाभान्वित कर सकती है. सरकार ने इसके लिए 2,000 करोड़ रुपये की रकम आवंटित की है. 2008 में पेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा की जगह ये स्कीम शुरू की गई है जिसमें 30,000 रुपये का सालाना बीमा कवर दिया गया था. यानी अगर बात करें बीमा कवर की, तो इसकी पेंच से लोगों को छुटकारा मिल सकता है.

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योजना को पर्याप्त फंड मिला?

कुछ एक्सपर्ट्स ने 10 करोड़ परिवारों के हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिहाज से 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन को पर्याप्त बताया है हालांकि, जन स्वास्थ्य अभियान के नैशनल कन्वीनर अभय शुक्ला का कहना है कि अगर इस योजना का मकसद 50 करोड़ लोगों को लाभ देना है तो प्रति व्यक्ति प्रीमियम 40 रुपये पड़ेगा. इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है हालाँकि सरकार का कहना है कि ये मुफ्त में मिलने वाली सुविधा होगी. नीति आयोग की परिकल्पना पर आधारित इस स्कीम के बारे में जेटली ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में जीवनभर काम करनेवालों ने उनके और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने प्रजेंटेशन दिया था. उन्होंने यूनिवर्सल हेल्थकेयर स्कीम का प्रजेंटेशन दिया था, लेकिन इसकी लागत बहुत ज्यादा होने के कारण हमने सभी 25 करोड़ की जगह 10 करोड़ परिवारों से शुरुआत की ताकि योजना प्रभावी तौर पर लागू हो सके. इससे गरीब लोगों को सीधे फायदा पहुंचेगा और इलाज के लिए जरुरी खर्च न होने पर भी इलाज हो सकेगा.

मेनिफेस्टो का वादा आखिरी बजट में हुआ पूरा:

बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में सभी को हेल्थ कवर देने का वादा किया था, लेकिन करीब पौने चार साल बाद आखिरी बजट में इसे पूरा करने के लिए सरकार ने कदम उठाया. इस योजना को विशेषज्ञ खासा अहम बता रहे हैं, लेकिन इस पर अमल कैसे होगा, इसे लेकर शंकित भी हैं. वहीँ इसे एक चुनावी हथियार के रूप में भी देखा जा रहा है और कहा जा रहा है कि चुनाव नजदीक आने के बाद सरकार ने बीमा स्कीम पर काम किया ताकि सीधे तौर पर आम जन को इसको लाभ देकर चुनाव में भुनाया जा सके.

‘आयुष्मान भारत’ ने स्वस्थ होगा भारत 

नैशनल हेल्थ प्रॉटेक्शन स्कीम के तहत देश के 10 करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 5 लाख रुपये तक का हेल्थ इंश्योरेंस कवर मुहैया कराना शामिल है. वित्त मंत्री जेटली ने नैशनल हेल्थ प्रॉटेक्शन स्कीम का ऐलान करते हुए इसे दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थ केयर प्रोग्राम करार दिया और इसे मोदी केयर स्कीम भी कहा जा रहा है. अरुण जेटली ने कहा कि इससे कम-से-कम 50 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा. स्कीम पर अमल के लिए पर्याप्त रकम मुहैया कराई जाएगी.देशभर में डेढ़ लाख से ज्यादा हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोलना जहाँ जरूरी दवाएं और जांच सेवाएं फ्री में मुहैया कराई जाएँगी. इस स्कीम में गैर-संक्रामक बीमारियों और जच्चा-बच्चा की देखभाल भी होगी. इन सेंटरों में इलाज के साथ-साथ जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों, मसलन हाई ब्लड प्रेशर, डाइबिटीज और टेंशन पर नियंत्रण के लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. सरकार ने इसके लिए 1200 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है, वहीँ सरकार ने इन केंद्रों को चलाने के लिए कॉर्पोरेट का सहयोग लेने का विकल्प खुला रखा है. 
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नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल

देश में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए 24 जिला अस्पतालों को अपग्रेड कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल खोले जाएंगे. हालाँकि अभी डॉक्टर्स की भर्ती के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था का जिक्र होता नहीं दिखाई दे रहा है.हर तीन संसदीय क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना भी सरकार की है.देश में हर साल प्राइवेट और सरकारी मेडिकल कॉलेजों से करीब 67 हजार एमबीबीएस और 31 हजार पोस्ट ग्रैजुएट (पीजी) डॉक्टर निकल रहे हैं. देश की आबादी को देखते हुए ये संख्या बहुत ही कम है.

टीबी के मरीजों को मिलेगा लाभ

सरकार ने टीबी के रोगियों को हर महीने 500 रुपये देने का इंतजाम किया है और इसके लिए 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. सरकार ने 2025 तक देश से टीबी के खात्मे का लक्ष्य रखा है और इसके लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं. जगह-जगह टीकाकरण के कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं चीन के बाद टीबी के सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं जहाँ हर साल टीबी के करीब 28 लाख नए केस सामने आते हैं और करीब 5 लाख मरीज दम तोड़ देते हैं. वहीँ बजट में एचआईवी-एड्स पर काबू पाने और इसके इलाज के लिए 2100 करोड़ रुपये की व्यवस्था भी की गई है. इसके पहले यह राशि 2163 करोड़ रुपये थी. इसी तरह परिवार कल्याण की योजनाओं के फंड में भी कमी की गई है. बजट में सेहत के लिए कुल 52,800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. पिछली बार यह राशि 48,300 करोड़ रुपये थी. यानी सरकार कहीं से कटौती कर कहीं उस रकम को इस्तेमाल कर रही है.

कहां कितना खर्च?

अगर बात करें बजट में प्रस्तावित रकम की तो पिछले साल की तुलना में 12 प्रतिशत वृद्धि के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय का पूरा बजट 56,226 करोड़ रुपये का हो गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में स्वास्थ्य पर खर्च को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक लाने की बात कही थी, लेकिन अब तक जीडीपी का 1.2 प्रतिशत ही हेल्थ सेक्टर को मिल पाया है. इसके लिए जरुरी बजट को लेकर सरकार ने कहा है कि वो इसके लिए जरुरी पैसों का इंतजाम कर लेगी. हालाँकि सरकार ने वेलनेस सेण्टर को संचालित करने के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर का भी विकल्प खुला रखा है.
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स्वास्थ्य योजनाएं- सरकारी दावे 

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना में लोगों को सस्ते दामों में क्वॉलिटी मेडिसिन मुहैया कराई जाती है. दिसंबर 2017 तक सभी राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में 3,013 जन औषधि केंद्र चलाए जा रहे हैं. मिशन इंद्रधनुष के तहत 15 दिसंबर 2017 तक 528 जिलों के 2.55 करोड़ बच्चों को विभिन्न बीमारियों के बचाव के टीके लगाए गए.  इनमें 67 लाख बच्चों को सभी प्रकार के टीके लगाने का दावा किया गया. स्वास्थ्य सेवाओं पर अपनी जेब से खर्च करने के मामले में मिडल इनकम वाले 50 देशों में भारत का स्थान छठा है.  क्वॉलिटी हेल्थ सर्विसेज की कमी के कारण 56 फीसदी शहरी और 49 फीसदी ग्रामीण भारत निजी अस्पतालों में भारी-भरकम राशि देकर इलाजा करता है. सरकारी अस्पतालों की बदहाली के कारण लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना होता है जो कि बहुत ही महंगा साबित होता है.

स्वास्थ्य स्कीम के सदस्यों के लिए बजट में कटौती

कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इससे जनसंख्या पर लगाम लगाने और परिवार कल्याण की अन्य योजनाएं चलाने में दिक्कत आएगी. बजट में दवाओं की क्वॉलिटी पर नजर रखने के लिए कोई आवंटन का जिक्र नहीं है. इस बार अंगदान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ी पहल की है, जो कि अच्छा माना जा रहा है. पिछली बार की तुलना में अबकी सरकार ने 10 गुना रकम बढ़ाते हुए 90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. केंद्र सरकार स्वास्थ्य स्कीम के सदस्यों के इलाज के लिए पिछली बार 1654 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया था, जबकि इस बार इस राशि को कम कर 1558.86 करोड़ कर दिया गया है. इसी तरह कई और मदों में भी बजट में कमी या बढ़ोतरी की गई है.

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क्या हैं फायदे

विशेषज्ञों का मानना है कि एक तो गरीब परिवारों को इलाज में फायदा मिलेगा तो वहीँ कई राज्य इस तरह की स्कीम पहले से ही चला रहे हैं और इसमें राज्यों का पैसा बहुत ज्यादा खर्च हो रहा है. हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में टर्शरी केयर की सुविधाएं बीमा योजना के तहत दी जा रही हैं. अगर यह किसी सेंटर से इस स्कीम के तहत रुपया मिलता है तो राज्यों का पैसा बचेगा और इस पैसे का दूसरी योजनाओं या हेल्थ के इन्फ्रास्ट्रक्चर को और डेवलप करने पर खर्च करने का काम किया जा सकता है.

चिंता का विषय

नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम बहुत अच्छी पहल मानी जा रही है मगर इसे किस तरह से लागू किया जाता है और कैसे इसकी निगरानी की जाती है, यह सरकार के लिए चुनौती हो सकती है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से मिलने वाली राशि के दुरुपयोग देखे जा चुके हैं. लिहाजा इसको लेकर चिंता लाजिमी है. यह भी देखा गया है कि अस्पताल और इंश्योरेंस कंपनी की सांठगांठ से आर्मी और अन्य संगठनों के रुपयों को गबन किया जा चुका है. ऐसे में इस स्कीम को सफल बनाने में उच्च स्तर की निगरानी जरूरी होगी. सरकार को इन बातों का ध्यान रखना होगा.

बजट में हेल्थ स्कीम को लेकर किये गए ऐलान

हर परिवार को सालाना मिलेगा 5 लाख रुपए मेडिकल खर्च मिलेगा. टीबी मरीजों को हर माह 500 रुपए की मदद देने की घोषणा की गई है. हेल्थ वेलनेस केंद्र बनाने के लिए 1200 करोड़ के फंड की घोषणा की गई. देशभर में 24 नए मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा जिसमें 8 यूपी में बनेंगे.ये हेल्थ बीमा स्कीम 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए होगी. नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम लॉन्च की जाएगी. इसके तहत 50 करोड़ लोगों को हेल्थ बीमा का लाभ मिल सकता है.सरकार की योजना देश की 40 फीसदी आबादी को हेल्थ बीमा की सुविधा देने की है.आयुष्मान भारत- नेशनल हेल्थ पॉलिसी के तहत डेढ़ लाख सेंटर होंगे.

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