आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है। जिसमें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस देवी का स्वरूप अत्यंत ही भव्य होता है। माँ ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को यह सन्देश देती हैं कि बिना परिश्रम के जीवन में कभी भी सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है।

देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरुप :

  • माँ दुर्गा के 9 रूपों में देवी ब्रह्मचारिणी का यह दूसरा रूप होता है।
  • दुर्गा पूजा में आज के दिन देवी ब्रह्मचारिणी की बहुत ही भव्य तरीके से पूजा की जाती है।
  • माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरुप बहुत ही सादा और भव्य है।
  • ब्रह्मचारिणी का अर्थ,तप का आचरण करने वाली होता है।
  • देवी ब्रह्मचारिणी हिमालय की पुत्री हैं,हज़ारों वर्षों तक तपस्या करने पर ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
  • देवी ने भगवान शिव को अपने पति रूप में पाने के लिए हज़ारों वर्षों तक कठिन तपस्या की थी।
  • जंगलों के ही फलों और पत्तों को खाकर देवी ने अपनी तपस्या पूर्ण की थी।
  • और अपने पति के ही रूप में भगवान शिव को प्राप्त किया था।
  • इसलिए इस देवी का स्वरुप एक तपस्विनी का है जिसे सभी विद्याओं का ज्ञाता माना जाता है।
  • माँ ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र पहनती हैं,इनके दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बांए हाथ में कमण्डल सुशोभित होता है।

देवी की पूजा से मिलेगा मनचाहा वरदान :

  • देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
  • तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम जैसे गुणों की वृद्धि भी होती है।
  • माँ के इस रूप का पूजन करने से भक्तों की आलस्य,अहंकार,लोभ,स्वार्थ,असत्य व इर्ष्या जैसी बुराइयां दूर होती हैं।
  • नवरात्र के इन पावन दिनों में देश के हर मंदिरों में भक्तों की लम्बी कतारें लगी रहती हैं।
  • देवी ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को कठिन परिश्रम कर सफलता प्राप्त करने का सन्देश देती हैं।
  • साथ ही जीवन की कठिनाइयों में भक्तों को आशा व विश्वास के साथ कर्तव्यपथ पर चलने का भी सन्देश देती हैं।
  • माँ का यह रूप समग्र शक्तियों को एकाग्र कर विवेक व धैर्य के साथ सफलता की राह पर चलने की सीख देता है।
  • देवी ब्रह्मचारिणी भक्तों को उनकी हर समस्या से समाधान पाने के लिए दिशा प्रदान करती है।
  • माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को सुख और शान्ति का अनुभव होता है।
  • साथ ही देवी का पूजन करने से भक्तों के कष्टों का भी निवारण होता है।
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