अपने हिन्दी चैनल NDTV इंडिया पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए एक दिन के प्रतिबंध को NDTV ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सरकार ने NDTV इंडिया पर इसी साल जनवरी में पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान संवेदनशील जानकारी का प्रसारण करने का आरोप लगाते हुए बुधवार, 9 नवंबर को उसे एक दिन के लिए ऑफएयर रखे जाने का आदेश दिया है.
NDTV ने किया इन आरोपों का खंडन-
- NDTV इंडिया ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
- चैनल का कहना है कि अन्य चैनलों तथा समाचारपत्रों ने भी वही जानकारी दिखाई या रिपोर्ट की थी.
- इस प्रतिबंध की पत्रकारों और संपादकों ने चौतरफा आलोचना की है.
- सभी प्रेस काउंसिलों ने इसे ’70 के दशक में देश में लागू की गई एमरजेंसी’ के समान बताया.
- एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि अपनी तरह के इस पहले आदेश से पता चलता है कि केंद्र सरकार समझती है कि ‘उसे मीडिया के कामकाज में दखल देने और जब भी सरकार किसी कवरेज से सहमत न हो, उसे अपनी मर्ज़ी से किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है…’
- देश के सभी बड़े समाचारपत्रों तथा पत्रिकाओं के संपादकों के समूह ने प्रतिबंध से निराशा जताई है.
- उनका कहना है कि अगर सरकार को किसी मीडिया कवरेज में कुछ आपत्तिजनक लगता है, तो वह कोर्ट जा सकती है.
- सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि यह प्रतिबंध ‘देश की सुरक्षा के हित में है’.
- उनके अनुसार इस मुद्दे पर की जा रही सरकार की आलोचना ‘राजनीति से प्रेरित’ लगती है.
- कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में इस प्रतिबंध का खुलकर विरोध किया.
- राहुल ने कहा, ‘सरकार असहमति रखने वाले सभी लोगों को वह चुप करा देना चाहती है.’
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