देश के उच्चतम न्यायालय में बीते कुछ समय से एक मामले के तहत सुनवाई की जा रही थी. बता दें कि यह मामला चिकित्सक बनने की पढ़ाई करने के लिए दी जाने वाली प्रवेश परीक्षा NEET का मामला था. इस मामले के तहत एक याचिका दायर की गयी थी जिसमे उर्दू को इस परीक्षा को देने के लिए एक माध्यम के तौर पर अनिवार्य किये जाने की बात कही गयी थी. जिसके बाद इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुहर लगाते हुए अब उर्दू को इस परिक्षा को देने के लिए एक माध्यम के तौर पर अनिवार्य कर दिया गया है.
क्या है पूरा मामला :
- सुप्रीम कोर्ट में बीते दिनों एक मामले के तहत जनहित याचिका दायर की गयी थी.
- बता दें कि यह याचिका छात्र इस्लामी संगठन(SIO) द्वारा दायर किया गया था.
- जिसके तहत उनके द्वारा कोर्ट से यह अपील की गयी थी कि NEET की परीक्षा को उर्दू में भी होना चाहिए.
- इस परीक्षा के उर्दू में होने से मुस्लिम समुदाय के छात्र व अन्य उर्दू के जानकार बड़ी आसानी से इस परीक्षा में बैठ सकते हैं.
- जिस पर कोर्ट द्वारा कई बार सुनवाई की और कई बार पक्ष-विपक्ष की बातें सुनी.
- जिसके बाद अब इस मामले के तहत कोर्ट द्वारा केंद्र को एक आदेश जारी किया गया है.
- इस आदेश के तहत अब NEET परीक्षा के लिए बैठने वाले छात्र 2018-19 के सत्र से उर्दू में भी परीक्षा दे सकेंगे.
- यही नहीं अब कोर्ट द्वारा इसे एक नियम के तौर पर लागू करने के लिए भी केंद्र सरकार को आदेश जारी किये गए हैं.
- आपको बता दें कि अब तक यह परीक्षा केवल अंग्रेज़ी व हिंदी में ही होती आई है.
- जिसके बाद कोर्ट के इस फैसले को एक ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है.
- साथ ही इस तरह का निर्णय उर्दू के जानकार छात्रों को बड़ी आसानी से इस परीक्षा में बैठने और इसे देने में सहायक होगा.
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