केंद्र सरकार ने पहली बार माना है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु (Netaji died plane crash) एक विमान दुर्घटना में हुई थी। सरकार के इस बात से नेताजी के परिजन नाखुश हैं। नेताजी के परपोते व बंगाल भाजपा के नेता चंद्र बोस ने इस मामले में गृह मंत्रालय से माफी मांगने को कहा है।
गृह मंत्रालय ने आरटीआई का भेजा जवाब :
- सायक सेन नामक व्यक्ति ने नेताजी के मौत को लेकर एक आरटीआई दायर की थी।
- इसी आरटीआई सवाल का जवाब गृह मंत्रालय ने भेजा है।
- गृह मंत्रालय की ओर से जवाब में साफ कहा गया है कि नेताजी की मौत 18 गस्त 1945 को हुई थी।
- मंत्रालय की ओर से कहा गया कि शहनवाज कमेटी, जस्टिस जीडी खोसला कमीशन, और जस्टिस मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट देखने सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि नेताजी 1945 में विमान दुर्घटना में मारे गए थे।
गृह मंत्रालय ने गुमनामी पर दी जानकारी :
- गृह मंत्रालय ने दिए जवाब में फैजाबाद के गुमनामी बाबा का भी उल्लेख किया है।
- कहा कि मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट के पेज नंबर 114-122 पर भगवानजी और गुमनामी बाबा के बारे में जानकारी उपलब्ध है।
- मंत्रालय ने कहा कि मुखर्जी कमीशन के मुताबिक नेताजी सुभाषचंद्र बोस गुमनामी बाबा या भगवानजी नहीं थे।
- बता दें कि गृह मंत्रालय नेताजी से जुड़ी 37 फाइलें पहले ही सार्वजनिक कर चुकी है।
नेताजी के परपोते ने जवाब पर जताई असहमति :
- गृह मंत्रालय के जवाब पर नेताजी के परपोते चंद्र बोस ने आपत्ति जताई है।
- उन्होनें कहा कि बगैर किसी ठोस सबूत के कोई सरकार नेताजी की मौत पर अंतिम राय कैसे बना सकती है।
- चंद्र बोस ने कहा कि गृह मंत्रालय को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए।
- आगे कहा कि हम चाहते हैं कि इस मामले में SIT का गठन किया जाए, जो जारी हुई इन फाइलों का आध्ययन कर सके।
- उन्होंने कहा कि साथ ही हम चाहते हैं कि ताइवान में मिली अस्थियों का केंद्र सरकार DNA टेस्ट करवाए।
- चंद्र बोस ने कहा कि मैं पहले बोस परिवार का सदस्य हूं बाद में भाजपा का नेता।
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