देश में नया विमान अपहरण रोधी सख्त कानून एक सरकारी अधिसूचना के बाद लागू हो गया है। इस कानून के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति की मौत की स्थिति में मृत्युदंड का प्रावधान करता है। यह 2016 का विमान अपहरण रोधी अधिनियम 1982 के पुराने कानून की जगह लेगा।
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नये कानून में इसकी व्याख्या को दिया गया और विस्तार :
- पुराने कानून के अनुसार बंधकों जैसे कि विमान के सदस्यों, यात्रियों और सुरक्षाकर्मियों की मौत की स्थिति में ही अपहरणकर्ताओं के खिलाफ सुनवाई हो सकती थी।
- लेकिन नये कानून में विमान में सवार सुरक्षाकर्मी या जमीन पर मौजूद सहायक कर्मी की मौत की स्थिति को शामिल किया गया है।
- नये कानून में इसकी व्याख्या को और विस्तार दिया गया है।
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हो सकती है उम्रकैद एवं जुर्माने की सजा :
- विमान अपहरण के अन्य मामलों में दोषी के अधिकार वाली चल-अचल संपत्तियों को जब्त करने के अलावा उसे उम्रकैद एवं जुर्माने की भी सजा होगी।
- पांच जुलाई को नये कानून के संबंध में अधिसूचना जारी करने के बाद यह प्रभाव में आ गया।
- धमकी, अपराध को अंजाम देने का प्रयास या विमान अपहरण की व्याख्या के अंदर कई कृत्यों को समाहित किया गया है।
- जो भी इसे अंजाम देता है या ऐसे अपराध के लिये अन्य लोगों को निर्देशित करता है।
- उसे विमान अपहरण के अपराध का दोषी समझा जायेगा।
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दिसंबर 2014 में पेश किया गया था विधएयक :
- 1982 के विमान अपहरण अधिनियम की जगह नये अधिनियम 17 दिसंबर 2014 को राज्यसभा में विधेयक पेश किया गया।
- जिसे के लिए नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने पेश किया था।
- कुछ दिनों बाद इसे एक संसदीय समिति के समक्ष भेजा गया था।
- जिसने मार्च 2015 में इस पर अपनी रिपोर्ट दी थी।
- 4 मई 2016 को उपरी सदन में और नौ मई 2016 को लोकसभा में विधेयक पारित हो गया था।
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