नीतीश सरकार ने शराबबंदी का दायरा बढ़ाते हुए सूबे  के जज, अधिकारी से लेकर कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगा दिया। अब वो कहीं भी और कभी भी शराब नहीं पी पाएंगे। राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव पारित किया है। इसके नियम के अंतर्गत न्यायिक सेवा का कोई भी अधिकारी राज्य के अंदर या राज्य के बाहर न तो शराब का सेवन कर सकते हैं और न ही किसी तरह के अन्य नशा या मादक पदार्थ का सेवन करने की इजाजत है।

दंडित होंगे अधिकारी:

  • राज्य सरकार ने 15 फरवरी को एक प्रस्ताव पारित किया गया।
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस संबंध में बिहार जूडिशियल ऑफिसर्स कंडक्ट रूल 2017 को पास किया है।
  • जिसमें बिहार सरकारी सेवक और आचार नियमावली 1976 में संशोधन किया है।
  • गौरतलब है कि बिहार जूडिशियल ऑफिसर्स कंडक्ट रूल 2017 के लिए पटना हाई कोर्ट ने प्रस्ताव बनाकर भेजा था जिसे राज्य सरकार ने मंजूर कर लिया।
  • इससे पूर्व ऐसा कोई कानून नहीं था जिसके तहत न्यायिक सेवा के अधिकारियों को शराब या नशीली पदार्थ का सेवन करने से रोका जा सके।
  • अब नए नियम के मुताबिक न्यायिक अफसर को ऐसा करने से न सिर्फ रोका जा सकेगा बल्कि ऐसा करते हुए पाया गया तो उन्हें दंडित भी किया जाएगा।

Group A से लेकर Group D तक बना कानून:

  • नीतीश सरकार ने Group A  से लेकर Group D तक के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी कानून बनाया है।
  • जिसके तहत अब वो कभी भी और कहीं भी शराब या कोई भी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं कर कर सकते हैं।
  • इससे पहले राज्यकर्मियों के आचार संहिता में ड्यूटी के दौरान और सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने (बिहार) की मनाही थी।
  • अब यह नियम बिहार से बाहर तैनाती के दौरान भी राज्यकर्मियों पर लागू होगी।
  • नए नियम में साफ लिखा है कि राज्य सरकार के अधिकारी-कर्मचारी किसी भी तरह का नशीला पेय या ऐसी औषधि का सेवन नहीं करेंगे।
  • साथ ही ऐसे सरकारी सेवक जहां पर तैनात होंगे वहां इस कानून का सख्ती से पालन करेंगे।
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