बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने शराब पीने एवं उसकी बिक्री पर प्रतिबंध संबंधी बिहार के कानून को दरकिनार करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है.
नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट का सहारा-
- बिहार सरकार ने 30 सितंबर के पटना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
- बिहार सरकार की याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के शराबबंदी कानून को रद्द करने से बिहार सरकार की शराबबंदी की मुहिम को झटका लगा.
- राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हो चुकी है.
- न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई.
- कोर्ट ने शराब कंपनियों के संगठन को भी नोटिस जारी किया है और 6 सप्ताह में जवाब मांगा है.
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पटना हाईकोर्ट ने रद्द की थी अधिसूचना-
- राज्य सरकार द्वारा पांच अप्रैल, 2016 को जारी अधिसूचना को पटना हाइकोर्ट ने रद्द कर दिया था.
- जिसमें राज्य में शराब की बिक्री और इसे पीने पर पाबंदी लगाई गई थी.
- पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह के कोर्ट ने 30 सितंबर को सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था.
- इसके बाद दो अक्टूबर को प्रदेश में नया उत्पाद कानून लागू करने की औपचारिक घोषणा हुई.
- इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिये जाने की बात कही थी.
- जिसके बाद सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर थी.
- उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह संविधान का उल्लंघन करता है.
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