गृह मंत्री राजनाथ सिंह की दो दिवसीय श्रीनगर यात्रा के बाद भी कश्मीर के हालात में कोई बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है। शुक्रवार को घाटी में लगातार 49वें दिन भी कर्फ्यू जारी है। घाटी का माहौल आज भी अशांत है, और जनजीवन अस्त-व्यस्त बना हुआ है। अब तो यह डर सताने लगा है कि कश्मीर में जारी गतिरोध अगर जल्द ख़त्म न हुआ। वहां प्रदर्शन जारी रहे तो ये आंदोलन कट्टरपंथी ताकतों के हाथों में जा सकता है।
गुरुवार को भी हुएं प्रदर्शनः
- आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में शुरू हुई हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है।
- कश्मीर में लगातार 49वें दिन भी कर्फ्यू जारी है और हालात बदत्तर होते जा रहें हैं।
- गुरुवार को भी राज्य के कई इलाकों में झड़प और विरोध प्रदर्शन की खबरें आईं।
- मालूम हो कि घाटी में जारी हिंसा से अबतक 70 लोगों की मौत हो चुकी है।
- इसके साथ ही 10,000 से भी अधिक लोग हिंसा में घायल हो गए हैं।
- इस बीच सरकार ने घाटी में बीएसएफ के साथ ही पैरामिलिट्री फोर्स के जवान भेजने का निर्णय लिया है।
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जटिल होती जा रही समस्याः
- राजनाथ सिंह का दो बार कश्मीर जाना और प्रधानमंत्री का दो बार विपक्षी दलों से मुलाक़ात करना मामले की गंभीरता बयान करता है।
- वही, विपक्ष का कहना है कि बातचीत के लिए केंद्र घाटी में विश्वास बहाली के उपायों पर ध्यान दे।
- साथ ही भारत सरकार कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान से फ़ौरन बातचीत की पहल करे।
- केंद्र का कहना है कि, मुनासिब माहौल तैयार करने की ज़िम्मेदारी राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की भी बनती है।
राजनाथ और महबूबा ने की अपीलः
- गुरुवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह और राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने संयुक्त प्रेस वार्ता की।
- इस प्रेस वार्ता में दोनों नेताओं ने कश्मीरी आवाम से शांति बनाए रखने की अपील की।
- साथ ही उन लोगों की पहचान में मदद भी मांगी, जो युवाओं और बच्चों के हाथ में पत्थर थमाते हैं।
- उन्होने कहा कि पुलिस और सुरक्षा बल के जवान हर परिस्थिति से निपटने के लिए सर्तक हैं।
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