केंद्रीय परिवहन मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने लोकसभा चुनावों के दौरान पीएम मोदी द्वारा इस्तेमाल किए गए पार्टी के ‘अच्छे दिन’ के नारे से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह हमारे गले में फंसी हड्डी है।
- पहली बार केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अच्छे दिन से पल्ला झाड़ लिया है।
- गडकरी का ऐसा कहना मामूली बात नहीं है क्योंकि वे सरकार के बड़े मंत्री हैं और बीजेपी के अध्यक्ष तक रह चुके हैं।
- जिस अच्छे दिन के नारे के साथ नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थें।
- अब वही अच्छे दिन का नारा सरकार के गले की हड्डी बन गया है।
- गडकरी ने कहा कि, अच्छे दिन की बात पहले तो मनमोहन सिंह ने की थी।
- मनमोहन के बाद मोदी ने ये बात कही लेकिन अब ये उनके लिए गले की हड्डी बन गई है।
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कभी नहीं आयेंगे ‘अच्छे दिन’:
- गडकरी ने कहा कि हमने सिर्फ अच्छे दिन शब्द की प्रयोग किया था।
- इसका मतलब यह समझा जाना चाहिए कि लगातार प्रगति हो रही है।
- गडकरी ने इस शब्द को गलत तरीके से ना पेश करने की हिदायत भी दी।
- यहां जिसके पास कुछ है उसे कुछ और चाहिए।
- गडकरी ने कहा, ‘अगर किसी व्यक्ति के पास साइकिल है तो वह मोटरसाइकिल चाहेगा।
- फिर जब वह मोटरसाइकिल खरीद लेता है तो अगला लक्ष्य कार होती है।
- इसलिए किसी को कभी यह महसूस नहीं होता कि अच्छे दिन आ गए।
बीजेपी के गले की फांस बना नाराः
- चुनाव के समय दिया गया अच्छे दिन का नारा मोदी और भाजपा के लिए गले की फांस बन चुका है।
- महंगाई कम होनी थी, महिलाओं की सुरक्षा में कुछ बेहतर कदम उठाने थें।
- बेरोजगारों को नौकरियां मिलनी थी, लेकिन परिस्थिति में कोई खास नहीं आया।
- लोगों के खाते में 15 लाख रूपये देने की बात को बीजेपी पहले ही जुमला बता चुकी है।