गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आज राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने देश के नाम सन्देश दिया.उन्होंने बोला देश को मज्बूद बनाने के लिए विचारों में स्वछता होना बेहद आवश्यक है.हर भारतीय के भीतर एकता,सहिष्णुता और एक दूसरे का सम्मान करने का भाव होना चाहिए.
68वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन
- राष्ट्रपति बोले मुझे इस देश पर पूरा विश्वास है.भारत में व्याप्त लोग ही देश की सबसे
- बहुमूल्य ताकत हैं.विभिन्नता हमारी पहचान है.भारतीय संस्कृति अपने में ही अनोखी है.
- सदियों से हमारी संस्कृति की विविधता,विचारों ने इतिहास में अपना नाम दर्ज किया है.
- हमारे लोकतंत्रता में सच्चाई समाई हुई है.
- इसका सबूत ये है कि साल 2014 के चुनावों पर अगर गौर किया जाए.
- कुल 83 करोड़ 40 लाख मतदाताओं में से 66 प्रतिशत से अधिक ने इसमें अपनी भागीदारी दिखाई.
- पंचायती राज की नीति भी हमारे लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा है.
- पंचायती राज स्तर पर भी देश में चुनाव आयोजित होते हैं.
- संसदकाल में कार्य ना होने पर राष्ट्रपति ने चिंता जताई.
- संसद में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए इस तरह से समय खराब कर
- देश का नुकसान ठीक नहीं लगता.इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए.
संविधान अड़सठवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है
- राष्ट्रपति बोले भारतीय संविधान ने अड़सठवें वर्ष में प्रवेश कर लिया है.
- हममे अभी भी बहुत कमियाँ है और देश के विकास के लिए सुधार बेहद ज़रूरी है.
- भारत में विश्वास का स्तर डगमगाता नजर आ रहा है.
- भारत की जड़ों को मज़बूत रखना बेहद अहम है.
- राष्ट्रपति ने लोक सभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की बात पर जोर दिया.
- प्रणब मुख़र्जी बोले स्वतंत्रा प्राप्ति के शुरूआती दौर में व्याप्त परम्पराओं के लौटने का समय आ गया है.
- चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों की सहमती से इस पर जल्द से जल्द अमल करना ज़रूरी है.
- भारतीय लोकतंत्रता को राष्ट्रपति ने देश की ताकत बताया.
- इसके रास्ते में आने वाले व्यवधानों के प्रति जागरूक रहने की ज़रूरत है.
चुनावों में रचनात्मकता लाने की आवश्यकता
- राष्ट्रपति बोले भारत का लोकतंत्र मज़बूत है.
- लोगों का विश्वास इस पर बना रहे ये भी बहुत ज़रूरी है.
- चुनावों में पारदर्शिता लाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा एक अहम फैसला
- भारत के भविष्य को बदल सकता है.भारत के विकास के विभिन्न बिन्दुओं पर
- राष्ट्रपति जी ने प्रकाश डाला.देश में व्याप्त नोटबंदी के असर पर प्रणब मुख़र्जी बोले
- नोटबंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था थोड़ी धीमी पड़ सकती है.
- देश के विकास और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए यह कदम बेहद ज़रूरी था.
- राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने देश की रक्षा में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजली दी.