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पूरा कश्मीर हिंसा की आग में जल रहा है। सेना और प्रदर्शनकारियों की झड़प में करीब 30 लोग मारे जा चुके हैं। बुरहान वानी नामक आतंकी के मारे जाने के बाद प्रदर्शन कर रही उग्र भीड़ ने सेना के जवानों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया जिसके बाद में सेना को बचाव में सख्ती से निपटना पड़ा है।
आतंकियों के मारे जाने के बाद जवानों पर पत्थर फेंके जाते हैं कश्मीर में। ये लोग सेना को निशाना बनाते हुए लगातार उनकी गाड़ियों पर हमले कर रहे हैं, कभी पेट्रोल बम के सहारे तो कभी पत्थर फेंककर और कभी पुलिस थाने पर हमले करके।
ईद के मौके पर भी जवानों को ऐसे ही प्रदर्शन से दो-चार होना पड़ा था जब पाकिस्तान के झंडे दिखाने के बाद प्रदर्शन कर रहे लोगों ने जवानों पर पत्थर फेंक रहे थे। कश्मीर के लिए ये नई बात नहीं है और आये दिन सेना को कश्मीर में ऐसे हालात का सामना करना पड़ता है लेकिन इसके बावजूद पीएम मोदी ने सेना को आदेश दिया है कि किसी भी निर्दोष को ना पकड़ा जाए और अधिक से अधिक सतर्कता बरती जाए।
जानिए कैसे-कैसे हथकंडे अपना रहा है पाक, कश्मीर में अशांति फ़ैलाने के लिए
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लेकिन इस बीच सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़ा खुलासा किया है कि ISI हवाला के जरिए हर साल करोड़ों रुपये भेज रही है ताकि कश्मीर में अशांति का माहौल बना रहे। इस खबर के मुताबिक, हाल के दिनों में हिंसा का फायदा उठाकर राज्य में अशांति बढ़ाने के लिए आईएसआई ने 50 से 60 करोड़ रुपये भेजे हैं।
खबर के अनुसार, ISI पैसे भेजने के लिए आतंकी हाफिज सईद और हिजबुल के चीफ कमांडर सैयद सलाहुद्दीन के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है।पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में ISI अधिकारियों ने हाफिज और सलाहुद्दीन के साथ बैठक भी हुई है।
बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा फैलाने के लिए सभी आतंकी ग्रुपों ने मिलकर 4 कमांडर बनाए हैं। पिछले 3 दिनों में सीमा पार से 5 से 6 बार घुसपैठ की कोशिश की गई है। हालांकि सुरक्षा बलों ने ऐसा नहीं होने दिया लेकिन लश्कर के 6 आतंकियों के घाटी में घुसने की खबर मिली है और उनकी खोजबीन शुरू की जा चुकी है।
इस बीच सेना ने सीमा पार से आतंकियों के करीब 30 से 40 इंटरसेप्ट पकड़े हैं। इसमें आतंकियों को सेना और सुरक्षा बलों पर ज्यादा निशाना बनाने के लिए कहा जा रहा है। आतंकियों के हैंडलर्स ‘नदी में पानी ज्यादा बहाना’ जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं।
खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के बाद सभी सुरक्षा बलों को अलर्ट रहने के लिए निर्देश दिए गए हैं और घाटी में पत्तथरबाजी करने वालों पर नजर रखने के लिए हाई रेजोल्यूशन कैमरे से वीडियोग्राफी की जा रही है।
आश्चर्यजनक रूप से पत्थरबाजी करने वाले अधिकांश युवा हैं जिनकी उम्र 12 से 18 साल तक के बीच है। जहाँ एक तरफ कश्मीर से आईएएस निकल रहे हैं वहीँ वहां के युवाओं को रुझान ISIS के प्रति बढ़ना अच्छा संकेत नहीं है।
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