देश में मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी के बाद पूरे देश ने जैसे लोगों ने बैंकों के आगे अपना घर बसा लिया है. हर शख्स या तो रात या फिर तडके ही बैंकों व ATM के आगे लाइने लगाये रखता हैं ताकि बैंक का दरवाज़ा खुलते ही उन्हें पैसे मिल जाएँ. ऐसे में बैंक व ATM इस प्रक्रिया का केंद्र बनी हुई है.
RBI तैयार करता है शेड्यूल्ड बैंकों की लिस्ट :
- हाल ही में नोटबंदी के बाद यह बैंकों की जिम्मेदारी है कि वह अहम भूमिका निभाए.
- पुरानी करेंसी वापस लेकर उसके बदले में नई करेंसी देने का काम बिना रुके लगातार चलता रहे.
- साथ ही देश के सभी बैंक अपनी सभी ब्रांच को इस काम को करने के लिए तैयार करें.
- लेकिन क्या आपका बैंक इस जिम्मेदारी के लिए तैयार है?
- क्या उसके पास वह तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं जिससे वह इस काम को बखूबी अंजाम दे सके?
- आपको बता दें कि नई करेंसी की प्रिंटिंग का काम रिजर्व बैंक के जिम्मे रहता है.
- मौजूदा समय में 2000 रुपए, 500 रुपए और 100 रुपए की करेंसी की प्रिंटिंग का काम बिना रुके चल रहा है.
- आरबीआई के प्रिंटिंग प्रेस में छपाई का काम पूरा होते ही इन्हें देश के तमाम बैंकों को भेज दिया जाता है.
- नई करेंसी पहुंचते ही वह बैंक इसे अपनी ब्रांच और फिर सीधे अपने कस्टमर को उपलब्ध करा देता है.
- इस संचार के लिए रिजर्व बैंक शिड्यूल्ड बैंकों की लिस्ट तैयार करता है.
प्राइवेट बैंक हैं प्राथमिक :
- आमतौर पर इस लिस्ट में सभी सरकारी बैंक शामिल किए जाते हैं और उनके साथ बड़े प्राइवेट बैंक भी रखे जाते हैं.
- लिहाजा, क्या आपका बैंक रिजर्व बैंक की इस प्राथमिकता वाली शिड्यूल्ड लिस्ट में आता है.
- आपको बता दें कि इस लिस्ट में शामिल बैंक करेंसी चेस्ट से लैस रहते हैं.
- यह करेंसी चेस्ट बड़ी मात्रा में करेंसी को सुरक्षित रखने की क्षमता होती है.
- उक्त बैंक की सभी ब्रांच अपनी दिन-प्रतिदिन की जरूरत के लिए करेंसी चेस्ट से कैश का लेन-देन करती हैं.
- यह भी रिजर्व बैंक ने तय किया है कि बैंक की किसी ब्रांच में कैश रखने की कितनी लिमिट होनी चाहिए
- इस लिमिट के पार होने पर उसे अतिरिक्त कैश नजदीकी करेंसी चेस्ट में जमा कराना होता है.
- वहीं जिन बैंकों को इस लिस्ट में नहीं शामिल किया गया है उनके पास किसी तरह का कोई करेंसी चेस्ट नहीं रहता है.
- लिहाजा इन्हें अपने अतिरिक्त कैश को किराए पर किसी अन्य बैंक के करेंसी चेस्ट में जमा कराना पड़ता है.
- मौजूदा स्थिति में जब शिड्यूल्ड बैंक अपनी ब्रांच और एटीएम की व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद में लगे हैं
- वहीं नॉन शिड्यूल्ड बैंकों की जरूरत उनकी प्राथमिकता में नहीं हैं.
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