2017 में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. एक तरफ आम आदमी पार्टी अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में पूरी ताकत से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं. वहीँ भाजपा एक बार फिर अपनी जीत को दुहराना चाहती है. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदी बेन पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया. लेकिन पार्टी के इस फैसले से गुजरात में एक खास वर्ग बेहद खफा था. आनंदी बेन पटेल पर लगातार निष्क्रियता के आरोप लगते रहे.

गुजरात में हुए पाटीदार आंदोलन ने दिया बीजेपी को झटका: 

आरक्षण की मांग को लेकर गुजरात में 2002 के बाद सबसे ज्यादा लोग सड़कों पर तांडव करते देखे गए. कई दिनों तक गुजरात के विभिन्न इलाकों में तांडव का ये दौर चलता रहा. सरकारी संपत्ति को बहुत क्षति हुई. इस आंदोलन के बाद आनंदी बेन पटेल फिर निशाने पर आ गई. पीएम मोदी ने भी गुजरात के लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की थी. हालाँकि आनंदी बेन ने अब इस्तीफा दे दिया है. उनकी जगह विजय रुपानी ने ली. अब रुपानी गुजरात के मुख्यमंत्री हैं.

  • गुजरात में हार्दिक ने एक सभा के जरिये आरक्षण की इस मांग को आंदोलन का रूप दे दिया.
  • पटेल जाति के को आरक्षण मिले इसके लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाया जाने लगा.
  • हार्दिक पटेल और राज्य सरकार आमने-सामने थे.
  • लेकिन हार्दिक इसके लिए किसी भी प्रकार का समझौता करने के मुड में नही थे.
  • उनके तीखे भाषणों और उकसावे के बाद गुजरात जल उठा.
  • खुद हार्दिक पटेल ने बीजेपी की नीतियों का खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया.
  • हार्दिक पटेल को पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद कई थाने आग के हवाले कर दिए गए.
  • करीब 20 लाख लोग सड़कों पर उत्पात मचाते रहे.

हार्दिक को मिला केजरीवाल का समर्थन:

  • हार्दिक पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ और उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी.
  • लाखों की भीड़ को उकसाने और हिंसा फ़ैलाने के जुर्म में हार्दिक पटेल जेल गए.
  • लेकिन हार्दिक पटेल को अरविन्द केजरीवाल का समर्थन मिला.
  • केजरीवाल ने हार्दिक को भुनाना शुरू कर दिया.
  • भाजपा के खिलाफ मोर्चा तैयार करने के लिए केजरीवाल को इस चिंगारी की जरुरत थी.
  • अब केजरीवाल हार्दिक पटेल की पूरी मदद कर रहे हैं.
  • बदले में हार्दिक बीजेपी को निशाना बनाने के अलावा खुद को प्रोमोट भी कर रहे हैं.
  • एक युवा नेता के तौर पर हार्दिक ने अपनी छवि बनाने के काफी हद तक सफलता पायी है.

अमित शाह के कंट्रोल में नहीं है अब सब कुछ:

  • अमित शाह गुरुवार को सूरत के दौरे पर थे.
  • पाटीदार अभिवादन समारोह के दौरान अमित शाह का जमकर विरोध हुआ.
  • 30-40 की संख्या में पाटीदार नेताओं के अभिवादन समारोह का विरोध किया.
  • ये वही अमित शाह हैं जिनके मंच के नजदीक कोई नहीं पहुँच पाता है.
  • लेकिन लगभग मंच के नजदीक पहुँच चुके पाटीदार नेताओं ने हार्दिक पटेल के नाम के नारे लगाये.
  • इसके अलावा अमित शाह वापस जाओ के नारे लगाये जा रहे थे.
  • सभा से कुर्सियां उठाकर फेंकने लगे. इस बीच बीजेपी कार्यकर्ताओं और पाटीदारों के बीच जमकर हंगामा हुआ.
  • अमित शाह केवल 4 मिनट ही भाषण दे पाए थे.
  • ये उस गुजरात के हालात हैं जहाँ बीजेपी की सत्ता है.
  • दो दिन पूर्व ही हार्दिक पटेल के भाई का स्टिंग सामने आया था.
  • जिसे हार्दिक ने अमित शाह की साजिश करार दिया था.

लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की सभा में हंगामा होना छोटी बात नहीं है.ये संकेत है कि गुजरात चुनाव के दौरान ऐसे कई विरोधों का सामना करने के लिए बीजेपी को तैयार रहना होगा. आज देश में आरक्षण की भूख सबसे बड़ी भूख हो गई है.इसके नाम पर राजनीति खुलकर हो रही है और पहले भी होती रही है. अब देखना है कि बीजेपी अपने ही किले में किस प्रकार हार्दिक पटेल को रोकने में कामयाब होगी. ऐसा लगता है कि अमित शाह का अपना ही किला अब सुरक्षित नहीं रहा.

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