24 सितम्बर 2014 की तारीख पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कालाम के लिए बेहद कशमकश थी.बंगलोरे में मंग्लायण लांच का वो ऐतिहासिक हिस्सा बनना चाहते थे पर वो नहीं बन सके.
कलाम ने अपने वादे को दी अहमियत
- इसरो के तत्कालीन प्रमुख के राधाक्रिश्नन ने ये बात साझा की.
- उन्हने कहा की कलाम जी को उसी दिन एक दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेना था जिसका उन्होंने वादा किया था.
- उस दिन बेहद कशमकश में थे की वो किस कार्यक्रम का हिस्सा बनें.
- माई ओडिसी: मेमोयर्स ऑफ दी मैन बिहाइंड दी मंगलयान मिशन में इस वाकये का ज़िक्र है.
प्रक्षेपण से एक दिन पहले बंगलोरे पहुचे अब्दुल कलाम
- बंगलोरे पहुच कर आईएसटीआरएसी में उन्होंने काफी वक़्त गुज़ारा और अभियान का पूरा विवरण जाना.
- एसएलवी-3 के पहले अभियान निदेशक पद पर रह चुके कलाम सभी तैयारियों से संतुष्ट दिखे.
- बड़े विनम्र तरीके से उन्होंने लोगों का अभिवादन स्वीकार किया उसके बाद वो दीक्षांत समारोह के लिए रवाना हो गए.
- भले ही उन्हें जाने का मन नहीं था पर वाडे के पक्के कलाम जी समारोह के लिए गए.
- ’जाते समय उन्होंने बोला प्रक्षेपण की जानकारी उन्हें लगातार देते रहना.
भारत ने पहले ही प्रयास में ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) का सफल प्रक्षेपण कर इतिहास रचा था.
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