प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे के लिए पड़ोसी देश नेपाल में हैं. शुक्रवार सुबह यहां उन्होंने जनकपुर के जानकी मंदिर में पूजा की. PM ने यहां जनसभा को संबोधित किया, PM मोदी ने यहां ‘जय सिया राम’ कहकर अपने भाषण की शुरुआत की. यहां प्रधानमंत्री का स्वागत यहां 121 किलो की फूलमाला पहनाकर किया गया.
PM मोदी के संबोधन की ख़ास बातें:
पीएम मोदी ने लोकतंत्र की तारीफ़ की.
‘हमने भारत में एक बहुत बड़ा संकल्प लिया है. ये संकल्प न्यू इंडिया का है. 2022 को तक सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों ने न्यू इंडिया बनाने का लक्ष्य रखा है. हम एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं, जहां बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई और बुजुर्गों को दवाई मिले”
‘युद्ध से बुद्ध तक के सार्थक परिवर्तन के लिए नेपाल को बहुत बधाई देता हूं. मैं आपकी आंखों में नेपाल के लिए सपने देख रहा हूं. नेपाल की समृद्धि और खुशहाली की कामना भारत हमेशा से करता आया है. प्रधानमंत्री ओली को भी उनके इस विजन को पूरा करने के लिए मैं शुभकामनाएं देता हूं.”
नेपाल के बिना राम भी अधूरे, हमारे संबंध अमर:PM मोदी
‘विकास की पहली शर्त होती है लोकतंत्र, मुझे खुशी है आप लोकतंत्र को मजबूत कर रहे हैं. अपने विकास के लिए आपने एक सरकार को जनादेश दिया है. एक साल में तीन स्तर पर चुनाव कराने के लिए आपको बधाई देता हूं.”
‘भारत और नेपाल की मित्रता कैसी रही है, इसको रामचरितमानस की इन चौपाइयों के माध्यम से समझा जा सकता है. जे न मित्र दुख होहिं दुखारी. तिन्हहि बिलोकत पातक भारी.. निज दुख गिरि सम रज करि जाना. मित्रक दुख रज मेरु समाना..”
‘नेपाल के विकास में ही क्षेत्रीय विकास छुपा हुआ है. नेपाल और भारत का संबंध अजर-अमर है. हमने मुश्किल घड़ी में एक दूसरे का साथ दिया है. नेपाल हमारी ‘पड़ोसी पहले’ नीति में सबसे आगे आता है.”
नेपाल ने सिखाया बेटियों का सम्मान: PM मोदी
‘नेपाल ने सिखाया बेटियों का सम्मान कैसे किया जाता है. बेटियों के सम्मान की ये सीख आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है. मिथिला पेंटिंग की कला, आज पूरे विश्व में प्रसिद्द हैं. इस कला में भी हमें प्रकृति की, पर्यावरण की चेतना देखने को मिलती है.”
‘जनकपुर धाम आकर ऐसा नहीं रगा कि मैं किसी दूसरी जगह पर पहुंच गया हूं. सब कुछ अपने जैसा है, सबकोई अपने जैसा है. नेपाल आध्यात्म और दर्शन का केंद्र रहा है.”
‘भारत नेपाल संबंध किसी परिभाषा से नहीं बल्कि भाषा से बंधे हैं. ये भाषा आस्था की है, ये भाषा अपनेपन की है, ये भाषा रोटी की है और ये भाषा बेटी की है.”
‘ये बंधन है राम-सीता का. बुद्ध का, महावीर का. यही बंधन रामेश्वरम् में रहने वाले को खींच कर पशुपतिनाथ ले आता है. यही बंधन लुंबनी में रहने वाले को बोधगया ले जाता है. और यही बंधन, यही आस्था, यही स्नेह, आज मुझे जनकपुर ले आया है.”
नेपाल के जनकपुर में नागरिक अभिनंदन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”मैं तीर्थ यात्री के तौर पर जनकपुर आया हूं. जनकपुर आने में देरी के लिए माफी मांगता हूं. यह मां जानकी का धाम है, जिसके बिना अयोध्या अधूरी है. नेपाल के बिना भारत की आस्था अधूरी है. नेपाल के बिना भारत का विश्वास अधूरा है. नेपाल के बिना हमारे धाम भी अधूरे हैं और हमारे नाम भी अधूरे हैं.”