प्रधानमंत्री आज पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे हैं. उनके साथ बांग्लादेश की प्रधानमंत्री सेख हसीना भी इस कार्यक्रम में मौजूद हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी आज अपनी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना की मौजूदगी में पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित शांतिनिकेतन में विश्व भारतीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुयें हैं.
प्रधानमंत्री शांतिनिकेतन में भारत और बांग्लादेश के सांस्कृतिक संबंधों के प्रतीक बांग्लादेश भवन का भी उद्घाटन किया हैं. समारोह में शेख हसीना भी मौजूद होंगी. प्रधानमंत्री इस विश्वविद्यालय के चांसलर हैं.
PM के संबोधन की बातें:
-देरी से आने के लिए माफी मांगता हूं, यहाँ मैं एक अतिथि नहीं बल्कि एक आचार्य के नाते आपके बीच में आया हूँ.
-यहाँ मेरी भूमिका इस महान लोकतंत्र के कारण है.
– एक आचार्य के नाते मै आपसे पीने के पानी की कमी सहित आपको होने वाली असुविधा के लिए मैं क्षमा चाहता हूं.
-ये मेरा सौभाग्य है कि गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर की इस पवित्र भूमि में इतने आचार्यों के बीच मुझे आज कुछ समय बिताने का समय मिला है.
-मैं जब मंच की तरफ आ रहा था, तो ये सोच रहा था कि कभी इसी भूमि पर गुरुदेव के कदम पड़े होंगे। यहां कहीं आसपास बैठकर उन्होंने शब्दों को कागज पर उतारा होगा, कभी कोई धुन, कोई संगीन गुनगुनाया होगा, कभी महात्मा गांधी से लंबी चर्चा की होगी, कभी किसी छात्र को जीवन का मतलब समझाया होगा.
तजिकिस्तान में किया था रबिन्द्रनाथ टैगोर की मूर्ति का लोकार्पण:
-मैं जब तजिकिस्तान गया था, तो वहां गुरुदेव की एक मूर्ति का लोकार्पण करने का अवसर मिला था। गुरुदेव के लिए लोगों में जो आदरभाव मैंने देखा था,वो आज भी याद है.
-दुनिया के अनेक विश्वविद्यालयों में टैगोर आज भी अध्ययन का विषय हैं। गुरुदेव पहले भी Global citizen थे और आज भी हैं.
-गुरुदेव मानते थे कि हर व्यक्ति का जन्म किसी ना किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए होता है। प्रत्येक बालक अपनी लक्ष्य-प्राप्ति की दिशा में बढ़ सके, इसके लिए उसे योग्य बनाना शिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य है। वो कहते थे कि शिक्षा केवल वही नहीं है जो विद्यालय में दी जाती है.
-शिक्षा तो व्यक्ति के हर पक्ष का संतुलित विकास है जिसको समय और स्थान में बांधा नहीं जा सकता है। गुरुदेव चाहते थे कि भारतीय छात्र बाहरी दुनिया में भी जो कुछ हो रहा है, उससे परिचित रहें.
बांग्लादेश भवन का उद्घाटन:
-यहां हमारे बीच में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी भी मौजूद हैं। भारत और बांग्लादेश दो राष्ट्र हैं, लेकिन हमारे हित एक दूसरे के साथ समन्वय और सहयोग से जुड़े हैं.
-Culture हो या फिर Public Policy हम एक दूसरे से बहुत-कुछ सीखते हैं। इसी का एक उदाहरण बांग्लादेश भवन है.
-दूसरे देशों के लोग कैसे रहते हैं, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक मूल्य क्या हैं, इस बारे में जानने पर वो हमेशा जोर देते थे। लेकिन इसी के साथ वो ये भी कहते थे कि भारतीयता नहीं भूलनी चाहिए.
-125 करोड़ देशवासियों ने 2022 तक New India बनाने का संकल्प लिया है। इस संकल्प की सिद्धि में शिक्षा और शिक्षा से जुड़े आप जैसे महान संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे संस्थानों से निकले नौजवान, देश को नई ऊर्जा देते हैं, एक नई दिशा देते हैं.
-सादगी भारत का मूलमंत्र है और भारत-बांग्लादेश एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं.