भारत का एक मात्र जिंदा बैरन द्वीप ज्वालामुखी फिर लावा उगलने लगा है। बैरन द्वीप अंडमान द्वीपों में सबसे पूर्वी द्वीप है। यह भारत ही नहीं अपितु दक्षिण एशिया का एक मात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। तकरीबन डेढ़ सौ साल तक शांत रहने के बाद ये ज्वालामुखी 1991 में फिर सक्रिय हो गया था। इसके बाद से इसमें रह-रहकर हलचल होता रहा है।
NIO’ के शोधकर्ताओं ने दी जानकारी:
- 23 जनवरी 2017 को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CSIR) और राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्था(NIO) के वैज्ञानिकों की टीम ज्वालामुखी के पास समुद्र तल से नमूने इकट्ठे करने गई थी।
- इसी समय वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखी से लावा और धुआं निकलता हुआ देखा।
- इसके बाद वैज्ञानिक टीम के सदस्य ज्वालामुखी के पास गए।
- उन्होंने देखा कि ज्वालामुखी करीब 10 मिनट तक फूटता रहा।
- दिन के समय इस ज्वालामुखी से सिर्फ राख निकलती देखी गई जबकि सूरज ढलने के बाद लावा भी निकलने लगा।
- तीन दिन बाद वैज्ञानिकों का एक और दल बैरन द्वीप के पास पुन: पहुंचे तो यही नजारा दिखा।
- गौरतलब है कि ज्वालामुखी द्वीप जाने में जोखिम के कारण वैज्ञानिक द्वीप को 1 किलोमीटर दूर से ही देख पाए।
- वैज्ञानिकों ने यहां जो नमूना इकट्ठे किये हैं वो इस ज्वालामुखी के इतिहास पर रोशनी डालने में कारगर साबित होंगे
यहां कई और ज्वालामुखी छिपे हैं:
- अंडमान बेसिन को भूगर्भीय गतिविधियों के लिए मशहूर है।
- यहां आस-पास समुद्र की गहराइयों में कई और भी ज्वालामुखी छिपे हैं।
- द्वीप लगभग 3 किलोमीटरके दायरे में फैला है।
- आपको बता दें कि बैरन द्वीप में कोई आबादी नहीं है, इसके उत्तरी हिस्से में पेड़-पौधे भी नहीं है।
- भारत के नागरिक अंडमान-निकोबार के वन विभाग से खास इजाजत लेने के बाद द्वीप का दौरा कर सकते हैं।
- बैरन द्वीप आसपास का पानी दुनिया के शीर्ष स्कूबा डाइविंग स्थलों में प्रतिष्ठित है।
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