राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने 34 उच्च जातिय लोगों की ह्त्या के आरोप में चार लोगों की मौत की सज़ा को घटाकर उम्र कैद में तब्दील कर दिया है.मामला साल 1992 बिहार राज्य का है.
कृष्णा मोची,नन्हे लाल,बिर पासवान और धर्मेन्द्र सिंह आरोपी
- इन चार आरोपियों की सज़ा में तब्दीली करके राष्ट्रपति ने इन्हें नए साल का तोहफा दिया है.
- अगस्त 2016 को गृह मन्त्रालय ने बिहार सरकार के कहने पर दया याचिका की सिफारिश की थी.
- उस समय इनकी दया याचिका को खारिज कर दिया गया था.
- राष्ट्रपति द्वारा विभिन्न पहलू पर जांच करने के बाद ये फैसला लिया गया.
- नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन की रिपोर्ट पर भी किया गौर.
साल 2004 में भी दाखिल की गयी थी दया याचिका
- एक चिट्ठी द्वारा राष्ट्रपति के सेक्रेटरीएट को दया याचिका की अर्जी भेजी गयी थी.
- एक प्रति गृह मंत्रालय और बिहार के मुख्यमंत्री को भी भेजी गयी थी.
- पर चिट्ठी ना तो गृह मंत्रालय के पास पहुंची ना राष्ट्रपति के पास.
- नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन द्वारा इस केस में दखलंदाजी करने के बाद.
- ये अर्जी राष्ट्रपति तक पहुँच पायी है और एक सकारत्मक नतीजा निकला है.
- साल 2001 में इन आरोपियों को माओइस्ट्स सेंटर द्वारा मौत की सज़ा दी गयी थी.
- जिसके बाद साल 15 अप्रैल 2002 को इस सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी.