माल्या, नीरव मोदी, मेहुल जैसे उद्योगपतियों की तरह कोई और भारत में अरबों रुपयों का घोटाला कर के देश को आर्थिक नुकसान न पहुंचा सके, इसके लिए सरकार ने अध्यादेश जारी कर दिया है. भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने संबंधी अध्यादेश को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है और इसके साथ ही इसके प्रावधान अमल में आ गये हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी आज अध्यादेश को मंजूरी:
पंजाब नेशनल बैंक को साढ़े ग्यारह हजार करोड़ रुपये का चूना लगाकर मेहुल और नीरव देश से फरार हो गए तो दिल्ली के सर्राफा व्यापारी ओरिएंटर बैंक ऑफ कॉमर्स से करीब 390 करोड़ रुपये लेकर फरार हैं. इससे पहले विजय माल्या पर भी करीब 9000 करोड़ रुपये का कर्ज है. इस तरह उद्योगपतियों द्वारा देश के करोड़ों रुपयें का नुकसान करके फरार होने वाले भगोड़े अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने अध्यादेश जारी कर दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भगोड़े आर्थिक अपराधी अध्यादेश, 2018 को मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही वित्तीय घोटालों को अंजाम देकर विदेश भागने वाले अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का रास्ता साफ हो गया। कानून के मुताबिक 100 करोड़ से ऊपर का आर्थिक अपराध कर भागने वाले छह हफ्ते में भगौड़ा घोषित किए जाएंगे. नीरव मोदी, मेहुल चोक्सी और विजय माल्या जैसे भगौड़े आर्थिक अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए कल केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश को मंजूरी दी थी.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों की सम्पत्ति कुर्क करने या जब्त करने के प्रावधान वाले अध्यादेश को कल स्वीकृति देकर राष्ट्रपति के पास भेजा था। अध्यादेश के प्रावधानों के तहत सरकारी एजेंसियां भगोड़े आर्थिक अपराधियों की चल एवं अचल संपत्ति कुर्क कर सकेंगी और उसकी नीलामी भी कर सकेंगी ताकि सरकारी खजाने को हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। इसके तहत भगोड़ा आरोपी किसी सिविल अदालत में अपना बचाव नहीं कर सकेगा।
गौरतलब है कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों से जुड़ा विधेयक संसद के बजट सत्र में पेश किया गया, लेकिन लगातार व्यवधान की वजह से ये पारित नहीं हो सका. इसी के मद्देनजर सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया.
अध्यादेश के तहत:
प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए के तहत एक विशेष अदालत गठित किए जाने का प्रावधान है.
ऐसे विशेष अदालत में वही मामले लिए जाएंगे जिनमें से 100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की रकम शामिल है. ऐसा इसीलिए किया गया है, ताकि विशेष अदालत में मुकदमों की भीड़ नहीं लगे.
यह अदालत बैंक या वित्तीय संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी करने जैसे मामलों में आरोपी को भगौडा घोषित करेगा.
एक भगौड़ा अपराधी वे है जिसके खिलाफ अधिसूचित अपराध के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है, लेकिन वो व्यक्ति मुकदमे से बचने के लिए देश से भाग चुका है. यही नहीं यदि ऐसा कोई व्यक्ति मुकदमे का सामना करने के लिए देश वापस लौटने से इनकार कर दे तो वह भी भगोड़े अपराधी की श्रेणी में आएगा.
भगौड़ा घोषित किए जाने के बाद उस व्यक्ति की देश में स्थित सारी संपत्ति सरकार के हाथों में आ जाएगी और इस पर किसी भी तरह की देनदारी नहीं होगी.
कोर्ट के आदेश पर ऐसा व्यक्ति या ऐसी कंपनी जिसमें उस व्यक्ति की बड़ी हिस्सेदारी है, वो प्रबंधन की भूमिका में है, उस संपत्ति पर दिवानी दावा नही ठोक सकेगा.
यदि भगौड़ व्यक्ति देश वापस आकर सरेंडर कर देता है तो ऐसी सूरत में प्रस्तावित कानून के बजाए प्रचलित कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.