सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में पांच नए जजों की नियूक्ति की गयी है.गौर करने वाली बात तो ये हैं कि इन पांच जजों में एक भी महिला जज नहीं है.इन नयी नियुक्तियों के बाद कुल जजों की संख्या 28 हो गयी है.उच्चतम न्यायालय में वर्तमान समय में सिर्फ एक महिला जज आर भानुमति हैं.
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह का बयान
- इंदिरा जयसिंह द्वारा इस मामले में टिप्पणी की गयी उन्होंने कहा.
- ये बहुत अचम्भे वाली बात है कि नियुक्ति के वक्त महिलाओं के नाम पर गौर क्यों नहीं किया गया.
- सुप्रीम कोर्ट केंद्र या सरकार के माध्यम से अबतक इस पर कोई भी स्पष्टिकरण नहीं आया है.
- राष्ट्पति द्वारा भी इस मामले पर कोई बयान नहीं आया है.
महिला वकीलों ने जताई चिंता
- कई महिला वकीलों द्वारा इस मामले पर गहन चिंता व्यक्त की गयी है.
- सबका यहीं कहना है सालों से यहीं होता आ रहा है.
- साल 2014 में नियुक्त की गयीं आर भानुमति ही मौजूदा महिला जज हैं.
आज़ादी के बाद केवल छह महिला जज सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त
- अगर आंकड़ों पर गौर करें तो आजादी से अबतक सुप्रीमकोर्ट में.
- 1947 के बाद से अबतक सुप्रीम कोर्ट में छह महिला जजों की नियुक्ति हुई है.
- सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर महिला और पुरुष के बीच इतनी बड़ी खाई क्यों है?
- इस बात का जवाब अबतक नहीं मिल पाया है.
- सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज की नियुक्ति 1989 में हुई थी.
- न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला न्यायमूर्ति नियुक्त की गयीं थी.
- गौर करने वाली बात तो ये हैं कि महिला न्यायमूर्ति की नियुक्ति.
- सुप्रीम कोर्ट गठन के 39 वर्ष बाद हुई थी.
- 39 वर्ष के सुप्रीम कोर्ट इतिहास में केवल पुरुष जजों का बोलबाला था.
- न्यायमूर्ति फातिमा बीवी को को पहले केरल हाईकोर्ट में जज का पद मिला था.
- उनके सेवानिवृत्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया था.
- साल 1992 तक वो सुप्रीम कोर्ट में तैनात रहीं.
- जिसके बाद न्यायमूर्ति फातिमा बीवी को तमिलनाडु का राज्यपाल बना दिया गया.
- आज जहां राजनीति में भी महिलाओं का वर्चस्व जारी है.
- भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल थीं.
- पहली महिला प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी बनी थी.
- सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की कमी पर एक बड़ा सवाल उठा रही है.
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