21 मई 1991 का वो मनहूस दिन जब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गयी थी। 40 साल की उम्र में देश का नेतृत्व करने वाले सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुम्बई में हुआ था। उनकी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी 1966 में जब पहली बार प्रधानमंत्री बनी थीं तब वो 48 साल की थी। भारत की आजादी के वक्त राजीव गांधी केवल 3 वर्ष के थे।
●राजीव गांधी के माता-पिता लखनऊ से नई दिल्ली आकर बस गए। उनके पिता फिरोज गांधी सांसद बने एवं जिन्होंने एक निडर तथा मेहनती सांसद के रूप में ख्याति अर्जित की। राजीव गांधी का बचपन अपने दादा के साथ तीन मूर्ति हाउस में गुजरा जहाँ इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री की परिचारिका के रूप में कार्य किया। वे कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए लेकिन जल्द ही उन्हें हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया। उनके छोटे भाई संजय गाँधी ने भी इसी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की।
●उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए राजीव कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए लेकिन जल्द ही वे वहां से हटकर लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए। उन्होंने वहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। ऐसा कहा जाता है कि राजीव गांधी राजनीति में आना नहीं चाहते थे और ना वो इसमें दिलचस्पी दिखाते थे। संगीत और फोटोग्राफी के शौकीन राजीव गांधी को हवाई जहाज उड़ाने का जुनून सवार था और इंग्लैंड से घर लौटने के बाद उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा पास की एवं वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया। जल्द ही वे घरेलू राष्ट्रीय जहाज कंपनी इंडियन एयरलाइंस के पायलट बन गए।
● कैम्ब्रिज में उनकी मुलाकात इटली की रहने वाली सोनिया मैनो से हुई थी और उन्होंने 1968 में नई दिल्ली में शादी कर ली। वे अपने दोनों बच्चों, राहुल और प्रियंका के साथ नई दिल्ली में श्रीमती इंदिरा गांधी के निवास पर रहे। राजीव गांधी के इस फैसले से उनके घर के लोग खुश नही थे लेकिन राजीव ने इंदिरा गांधी को जैसे-तैसे मना लिया। ऐसा माना जाता है कि शुरुआत दिनों में इंदिरा गांधी भी सोनिया को ज्यादा पसंद नहीं करती थीं, लेकिन संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी से विवाद के चलते वह सोनिया के साथ रहने लगीं और फिर स्थिति सामान्य होती चली गई।
लेकिन 1980 में एक विमान दुर्घटना में उनके भाई और अमेठी से सांसद संजय गाँधी की मौत के बाद उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र से राजीव ने उपचुनाव जीता और राजनीति में कदम रखा।
● 31 अक्टूबर 1984 को अपनी मां की क्रूर हत्या के बाद राजीव कांग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री बने थे। एक समय राजनीति से कोसो दूर रहने वाले राजीव गांधी ने लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की और भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। अपनी माँ और देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या ने उनके झकझोर दिया था बावजूद इसके उन्होंने संतुलन, मर्यादा एवं संयम के साथ राष्ट्रीय जिम्मेदारी का अच्छे से निर्वहन किया। अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान वो कई बार विवादों में भी घिरे।
● बोफोर्स घोटाले का खुलासा 1987 में स्वीडन के रेडियो ने किया था। रेडियो की खबर के अनुसार बोफोर्स ने ठेका प्राप्त करने के लिए रिश्वत दी थी। इस घोटाले ने न केवल राजीव गांधी और कांग्रेस की छवि कर दी बल्कि पूरे देश की राजनीति को हिलाकर रख दिया जिसके बाद देश में कांग्रेस के प्रति गुस्सा था। इस घोटाले से कांग्रेस पार्टी के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया और पार्टी की 1989 में लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हार हुई। हालांकि बोफोर्स घोटाले का ये मामला अभीतक चल रहा है। इस मामले में राजीव गांधी के साथ उनके दोस्ते सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का भी नाम सामने आया था, लेकिन बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी।
● श्रीलंका में लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध शांत करने के लिए राजीव गांधी ने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात कर दिया, जिसका प्रतिकार लिट्टे ने तमिलनाडु में चुनावी प्रचार के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला करवा कर लिया। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के पास एक कार्यक्रम में महिला आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी को बम से उड़ा दिया। वह महिला नलिनी जो कि एक मानव बम थी, 21 मई 1991 को सुबह 10 बजे राजीव गांधी से मिलने के लिए स्टेज तक गई और उनके पांव छूने के लिए झुकी। वह महिला आत्मघाती थी और उसके शरीर में जैकेट बम था। उसने राजीव गांधी के पैर छूने के बहाने खुद को उड़ा लिया। फ़िलहाल नलिनी जेल में है और उम्र कैद की सजा काट रही है।
इस साजिश में सिवरासन, मुरुगन भी शामिल थे जो LTTE प्रमुख के कहने पर पूर्व प्रधानमंत्री को मारने की साजिश रचने वालों में प्रमुख थे। संथन और पेरारिवलन समेत 26 लोगों पर सीबीआई की जाँच के बाद मुक़दमा चला। निचली अदालत से फांसी की सजा मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में इनकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया।
श्रीपेरंबदूर में हुई राजीव की हत्या भारतीय राजनीति की एक बड़ी विड़ंबना थी। आईबी और गृह मंत्रालय भी बराबर राजीव की सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी कर रहा था पर राजीव गांधी की जान को दिल्ली पुलिस के दो सब इंस्पेक्टरों के भरोसे छोड़ दिया गया था। सुरक्षा में चूक राजीव की हत्या में सबसे बड़ी वजह मानी गई लेकिन ये चूक राजीव के सुरक्षा तोड़कर जनता के बीच पहुंचने से हुई थी। शायद राजीव ये भूल गए कि जनता के प्यार को पालने पोसने के लिए जिंदा होना पहली और आखिरी शर्त है। राजीव अपनी जिंद पर अड़े रहे, सुरक्षा को धता बता रहे और हमलावरों ने राजीव गांधी के जनता से प्यार करने के इस कारण को ही उनकी मौत का कारण बना दिया। सुरक्षकर्मियों के लाख मना करने के बाद भी पूर्व प्रधानमंत्री जनता के बीच पहुँच गए थे।
इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि इनकी माँ और देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई, इनके भाई संजय गांधी प्लेन क्रैश में मारे गए और राजीव गांधी स्वयं तमिल विद्रोहियों का निशाना बने।