उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और बिल्डरों की जवाबदेही तय करने के लिए बनाया गया रियल एस्टेट कानून रविवार 1 मई से लागु हो जायेगा। इस कानून के लागु होने से उपभोक्ताओं को बहुत राहत मिलेगी। यह नियम नए और चल रही परियोजनाओं दोनों पर ही लागू होगा।
जानिये इस रियल स्टेट कानून के फायदे:
- बिल्डरों को तय समय के भीतर ग्राहकों को उनके फ्लैट उपलब्ध कराने होंगे।
- प्रमोटर और बिल्डर प्रोजेक्ट पूरा करने में देरी नहीं कर पाएंगे।
- नियमों का उल्लंघन करने वाले बिल्डरों पर जुर्माने के साथ ही तीन साल तक की सजा का भी प्रावधान है।
- सभी आवासीय और कमर्शियल प्रोजेक्टों के लिए रियल एस्टेट रेगुलेटर के पास रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। .
राज्य सरकार बनाएंगी छह महीने के भीतर नियम
सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकारों को छह महीने के भीतर नियम बनाने होंगे। कानून के लागू हो जाने के साथ ही कामकाज के नियमों और संस्थागत इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की प्रक्रिया की तैयारी भी शुरू हो जाएगी और इसके साथ ही प्रोजेक्ट के तहत फ्लैट की समय से डिलीवरी सुनिश्चित कराने के लिए प्रस्तावित रियल एस्टेट रेगुलेटर और अपीलीय ट्रिब्यूनल भी एक साल में बन जाएंगे।
2009 में पहली बार रखा था प्रस्ताव
रियल एस्टेट के लिए रेगुलेटर बनाने का प्रस्ताव पहली बार 2009 में राज्यों के आवास मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान रखा गया था।
आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने रियल एस्टेट कानून की 92 में से 69 धाराओं को बुधवार को ही अधिसूचित कर दिया था।
मंत्रालय जल्द ही नियामक प्राधिकरणों के लिए मॉडल रेगुलेशन भी तैयार करके उपलब्ध करवा देगा।