झारखंड की राजधानी रांची में रहने वाले सरबप्रीत सिंह की गिरफ्तारी के बाद परिजनों से सोशल मीडिया पर भी चर्चा हो रही है कि उसे मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोप है कि साइबर अपराध का मामला मानते हुए साइबर सेल ने सरकार के निर्देश पर आईपीसी की फर्जी धाराएं लगाकर पीड़ित को सलाखों के पीछे भेजा। चर्चा है कि सरबप्रीत सिंह को जान-बूझ कर फंसाया गया है। सोशल मीडिया पर सरबप्रीत को न्याय दिलाने के लिए हैशटैग #FreeSarabpreet #ReleaseSarabpreet भी चल रहे हैं।
अप्रैल फूल डे पर फेसबुक पर पोस्ट की थी वीडियो क्लिप
गौरतलब है कि, पिछले दिनों झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवरदास ने विधानसभा में एक शब्द बोला था कि तुम्हे मिर्ची लग रही है क्या। ये बाद सरबप्रीत के दिमाग में आई और उन्होंने एक अप्रैल को मुर्ख दिवस के मौके पर गोविंदा पर फिल्माए गाने ‘मै तो रस्ते से जा रहा था, भेल पुरी खा रहा था….. इस गाने की वीडियो क्लिप के बीच में हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा बोले गए शब्द तो… मिर्ची लग रही है… डाला था। इस क्लिप के अंत में मेंटोस के प्रचार का वीडियो क्लिप मेंटोस दिमाग की बत्ती जला दे डाला गया था। सरबप्रीत ने इन तीनों को जोड़कर एक क्लिप तैयार की और इसे फेसबुक के ‘मेड इन रांची’ पेज पर शेयर किया था। पोस्ट पर ये भी लिखा गया था कि ये वीडियो अप्रैल फूल डे पर है इसे अन्यथा ना लें।
कंपनी ने कॉपी राइट व ट्रे़ड मार्क के प्रयोग का दर्ज कराया केस
सरबप्रीत के परिजनों का कहना है कि उसे फंसा कर जेल भेजा गया। उसने एक अप्रैल को यह वीडियो क्लिप फूल डे के अवसर पर डाली थी। जबकि, ऐसे कितने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। इस संबंध में तीन अप्रैल को पर्फेटी वैन मेले इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से आनंद तिवारी ने साइबर एसपी रांची को मेल से शिकायत भेज कर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में आईजी नवीन सिंह के निर्देश पर एक टीम तैयार की गई।
मामले की जांच में पता चला कि चुटिया के रहने वाले सरबप्रीत द्वारा यह वीडियो तैयार किया गया है। इसके बाद साइबर पुलिस ने चार अप्रैल को साइबर सरबप्रीत को चुटिया से गिरफ्तार कर उसी दिन न्यायिक हिरासत में भेज दिया। सीएम की इस वीडियो क्लिप को पर्फेटी वैन मेले इंडिया के एक विज्ञापन के साथ जोड़ कर ट्विटर एकाउंट में डाला गया था। इसके बाद सरबप्रीत को पुलिस ने एक दिन में ही गिरफ्तार कर लिया।
बिना अनुमति एड क्लिप का प्रयोग करने का आरोप
सरबप्रीत पर आरोप है कि उन्होंने कंपनी की अनुमति लिए बिना अपने द्वारा बनाए जाने वाले प्रोडक्ट मेंटोस के प्रचार किए जाने वाले वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया। क्लिप को एक हिंदी मूवी के गीत के बीच में डाला गया। फिर उसे ट्विटर एकाउंट पर डाल कर झारखंड के मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया। आरोप है कि सरबप्रीत ने उस वीडियो क्लिप को अपने ट्विटर एकाउंट ‘मेड इन रांची’ पर डाला।
इसे काफी संख्या में लोगों ने देखा और उससे पर्फेटी वैन मेले इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को भी परेशानी हुई। क्योंकि उसके प्रोडक्ट की वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया गया। कंपनी द्वारा एलपेनलीबे, सेंटर फ्रेश, सेंटर फ्रूट, मेंटोस, क्रीमफिल्स और चॉकोलीबे जैसे प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं। इसका ट्रे़ड मार्क और कॉपी राइट सिर्फ पर्फेटी वैन मेले इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के पास ही है।
पीएम मोदी के स्टार्टअप इंडिया के लिए काम करते हैं सरबप्रीत
पीड़ित के परिजनों की माने तो उनका बेटा समाज सेवा का भी काम करता है। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। वह पीएम मोदी के स्टार्टअप इंडिया के लिए काम करता है। उसने कई बार आईटी डिपार्टमेंट के कार्यक्रमों के स्पीच भी दी है। अभी पिछले दिनों अमेरिका से आये आईटी के लोगों के कार्यक्रम में भी उसने स्पीच दिया था।
इससे खुश होकर उन्होंने राज्यसरकार के कई काम दिए तो बेटे ने ये सब काम किये थे। परिजनों ने बताया कि बेटा ”रांची माल” के नाम से एक वेबसाइट चलाता है।पिता कपड़े का कारोबार करते हैं जबकि बहन सीए है। सरबप्रीत ने बंगलुरु से कम्यूटर इंजीनियरिंग की है। घरवालों ने बताया कि उसने ये सब मजाक में किया क्योंकि एक अप्रैल को सभी मजाक करते हैं। लेकिन उसे सरकार के निर्देश पर ही जेल भेजा गया।
पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
सरबप्रीत के परिवार से लेकर सोशल मीडिया पर भी उसकी गिरफ़्तारी के बाद लोग पुलिस और सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर सरबप्रीत ने साइबर क्राइम किया था तो पुलिस ने उस पर आईपीसी की धारा 419, 420 क्यों लगाईं। सवाल है कि वैसे तो पुलिस मुकदमा पंजीकृत करने के लिए पीड़ितों को थाने के कई चक्कर कटवाने के बाद भी केस दर्ज नहीं करती लेकिन इस केस कंपनी के प्रबंधक के एक मेल पर मुकदमा दर्ज हो गया।
लोगों का कहना है कि एक तारीख का मामला होने के बाद पुलिस ने सरबप्रीत को दो तारीख से ही ढूँढना चालू कर दिया था। तीन को उसे हिरासत में लिया गया, इसके बाद केस दर्ज कर चार तारीख को गिरफ़्तारी दिखाई गई। लोगों ने सरबप्रीत की गिरफ़्तारी का सीधा आरोप सीएम रघुवरदास पर लगाया है। हालांकि इस केस में जिम्मेदार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पीडीएफ डाऊनलोड करें:
New Doc 2018-04-07
सुप्रीम कोर्ट ने हटा दी है धारा 66A
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2015 में कोर्ट ने IT एक्ट की धारा 66 A को अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार के विरुद्ध मानते हुए इसे रद्द कर दिया। संविधान की धारा 19 A के तहत हर नागरिक के पास अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है। ऐतिहासिक फैसले सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस विवादास्पद प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया था। पहले इस कानून के तहत कथित रूप से अपमानजनक विवरण वेबसाइट्स पर पोस्ट करने पर व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार कर सकती थी।
इस कानून का इस्तेमाल कई बार इंटरनेट पर आलोचनात्मक व विपरीत राजनीतिक विचारधारा के पोस्ट करने के कारण कइयों को गिरफ्तार किया गया। आपको बता दें कि आईटी एक्ट को 2000 में पास किया गया था। उस वक्त विवादास्पद धारा 66(A) को शामिल नहीं किया गया था। 2008 में इस एक्ट में संशोधन करके धारा 66(A) को जोड़ा गया जो फरवरी 2009 में लागू हो गया।