एसटी-एससी एक्ट के बाद पुरे देश में उग्र आन्दोलन चल रहा है. कही लोगों ने ट्रेन रोकी तो कही दुकानों में आग लगा दी. केंद्र सरकार जो लगभग 4 सालों में दलित आंदोलनों का निशाना बन रही है, ने आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर की है. एनडीए के सत्ता में आने के बाद दलितों के मुद्दे को लेकर सरकार हर बार बैकफुट पर आई है.

दलित मुद्दों पर हमेशा बैकफुट पर आई सरकार:

SC/ST एक्ट में बदलावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूरे देश में दलितों का गुस्सा आग की तरह फैल चुका है. दलित संगठनों ने आज भारत बंद बुलाया है, इस दौरान पूरे देश में कई जगह उग्र हिंसा हो रही है. यूपी, बिहार, पंजाब, मेरठ, बाड़मेर समेत देश के कई इलाकों में उपद्रवियों ने बस फूंकीं, दुकानों में आग लगा दी. हिंसा में अब तक 5 लोगों की मौत हो गयी. कई लोग घायल भी हुए हैं. बहरहाल इस पूरी प्रक्रिया में मोदी सरकार विलेन बन रही है. पिछले काफी समय से मोदी सरकार के प्रति दलितों का गुस्सा उभर कर आया है.

ये हैं 6 बड़े दलित आन्दोलन:

पिछले चार साल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनके कारण मोदी सरकार दलितों से जुड़े मुद्दों पर बैकफुट पर है. वो चाहे ऊना का मामला हो या फिर रोहित वेमुला का मामला.

हैदराबाद- रोहित वेमुला की आत्महत्या:

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे दलित छात्र रोहित वेमुला ने विश्वविद्यालय द्वारा होस्टल से निलंबन के बाद 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या कर ली थी. कहा गया था कि निलम्बित सभी छात्र दलित समुदाय से थे. इसके बाद देश भर में दलित सुमदाय के लोगों ने और छात्रों ने रोहित की आत्महत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया.

पुणे- भीमा-कोरेगांव हिंसा:

भीमा कोरेगांव हिंसा
भीमा कोरेगांव हिंसा

अभी हाल ही में महाराष्ट्र के पुणे में भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद दलित नेता प्रकाश अंबेडकर की अगुवाई में महाराष्ट्र बंद बुलाया गया था, जिसका असर काफी बड़ा पड़ा था. हालांकि, ये प्रदर्शन हिंसक भी हो गया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने के बाद उन्होंने अपना आंदोलन वापिस ले लिया था.

गुजरात- ऊना कांड:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में ऊना की घटना ने देश को शर्मसार कर दिया था. 11 जुलाई 2016 को गुजरात के ऊना में कुछ दलित युवकों को मृत गाय की चमड़ी निकालने की वजह से गौ रक्षक समिति का सदस्य बताने वाले लोगों ने सड़क पर बुरी तरह पीटा था. दलितों की पिटाई का वीडियो भी जारी किया था.

ऊना की घटना के बाद प्रदेश के दलित समाज के युवा सड़क पर उतरे और मरी हुई गायों को उठाने से मना कर दिया था. ऊना की घटना को लेकर दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आंदोलन किया और उन्हें दलितों के साथ मुस्लिमों का भी सहयोग मिला. इस घटना की आवाज संसद में गूंजी तो मोदी सरकार बैकफुट में नजर आई.

सहारनपुर- राजपूत-दलित संघर्ष:

उत्तर प्रदेश की सत्ता पर योगी आदित्यनाथ के विराजमान होने के एक महीने बाद ही सहारनपुर के शब्बीरपुर में राजपूत-दलितों के बीच खूनी संघर्ष हुआ. पहले 14 अप्रैल अंबेडकर जयंती के दौरान सहारनपुर के सड़क दुधली गांव में शोभायात्रा निकालने के दौरान दो गुटों में संघर्ष हुआ. इसके बाद 5 मई को महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर शब्बीरपुर के पास गांव सिमराना में राजपूतों द्वारा महारणा प्रताप की जयंती पर शोभायात्रा और जुलूस निकालने के दौरानउनका दलितों से संघर्ष हुआ. जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच पथराव, गोलीबारी और आगजनी भी हुई. क्षत्रिय समाज के लोगों ने दलितों के घरों को तहस नहस कर दिया. इस मामले में करीब 17 लोग गिरफ्तार हुए.

लखनऊ-मायावती ने दे दिया था इस्तीफा

इसी के बाद मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था. उनका आरोप था के उनको सदन में बोलने नही दिया गया. मायावती उस दौरान सहारनपुर हिंसा पर बोलने जा रही थीं लेकिन बोलने नहीं दिया गया था. इसी कारण मायावती ने 18 जुलाई को लिखित रूप से राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था.

हरियाणा- दलित परिवार को जिन्दा जलाया

हरियाणा दलित उत्पीड़न के मामले में काफी आगे है. फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव में एक दलित परिवार को जिंदा जला दिया गया. इस घटना में दो बच्चों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. एक पुरानी रंजिश के मामले में गांव के सवर्ण जाति के लोग दलित जितेंद्र के घर दाखिल हुए और पेट्रोल डालकर पूरे परिवार को जिंदा जला दिया. इसमें दो बच्चों की मौत हो गई और बाकी परिवार के लोग आग में झुलस गए.

 

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