प्रधानमन्त्री मोदी का ऐतिहासिक फैसला जिसकी चर्चा आज एक महीने बाद भी हो रही है.नोट बंदी का फैसला किस तरह लाया गया था और किसे दी गयी थी इसकी बागडोर.
वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारी हंसमुख अधिया को थामी बागडोर
- राजस्व सचिव हसमुख अधिया और उनके पांच साथी इस नोत्बंदी मिशन का अहम हिस्सा रहे.
- काम शुरू करने से पहले लि गयी थी गोपनीयता की शपथ यह फैसला काफी खतरे वाला नज़र आ रहा था.
- नोटबंदी में शामिल रिसर्च करने वालों में युवा भी थे शामिल.6 सदस्यी टाम की गयी थी नियुक्त.
फैसले से पहले प्रधानमन्त्री निवास पर चला दिन रात काम
- पीएम निवास में दो कमरों में इस सन्दर्भ में दिन रात काम चला था मामले को काफी गोपनीय रखा था.
- आठ नवम्बर को लिए गए इस ऐतिहासिक फैसले में मोदी ने एक एहम बात बोली थी.
- बैठक के दौरान उन्होंने बोला था की पूरी रिसर्च के बाद ये फैसला देश हित में है कोई गडबडी हुई तो उनकी ज़िम्मेदारी होगी.
- यह जानकारी बैठक में मौजूद मंत्री ने दी है.जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
- उस दौरान अधिया प्रधान सचिव थे .
- प्रधानमन्त्री मोदी को योग और एनी अध्यात्मिक विषयों पर अधिया भी मार्गदर्शन दे रहे थे.
- अधिया के सहकर्मी करते है अधिया की इमानदारी के कायल.
गोपनीयता बनाये रखने में रह गयीं खामी
- अभियान से जुड़े वरिष्ट अधिकारी ने बताया बहुत ज़रूरी था इस मामले को लीक ना होने देना.
- यहाँ से जुडी युवा रिसर्च टीम लगातार सोशल मीडिया अकाउंट और वह स्मार्टफोन एप संभालते थे.
- इस एप के ज़रिये प्रधानमंत्री मोदी जनता से जुड़ते हैं.
- अप्रैल में SBI का ब्यान आ गया था की बड़े नोट बंद हो सकते हैं.
ऑगस्ट में हो गई थी नए नोट आने की पुष्टि
- SBI के एलान के बाद अगस्त में दो हज़ार के नए नोट आने की खाबर आ गयी थी.
- नोट छापने का काम शुरू ही हुआ था की मीडिया में ये खबर वायरल हो गयी.इससे जुडी खबरें मीडिया में आने लगी.
योजना 18 नवम्बर को आणि थी पर लीक होने का था डर
- सूत्रों के हवाले से खबर इस मामले में रिसर्च करने वालों में से किसी एक ने इस खबर को लीक किया है.
- अधिया को इस मिशन का अहम हिस्सा बनाये जाने से अधिकारी और एनी नेता नाराज़ दिख रहे है.
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