नोटबंदी के बाद से देश में जनता अभी भी नकदी की समस्या से जूझ रही है। इस समस्या से निपटने के लिए करोड़ों लोगों ने कैशलेस भुगतान की तरफ रूख करना शुरू कर दिया है। लेकिन लोगों की इस सुविधा पर भी साइबर अपराधियों की नज़र है। साइबर सुरक्षा एजेंसी ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है। एजेंसी का कहना है कि देश भर के माइक्रो एटीएम और पीएसओ (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीनों से डाटा हैक किये जा सकते है। इसका परिणाम ये होगा कि इससे ग्राहकों के डेबिड/क्रेडिट कार्ड का नंबर और पिन आसानी से चुरा कर साइबर अपराधी उसने खातों में सेंध लगा सकते हैं।
डाटा चोरी का ये तरीका अपना सकते है अपराधी:
- सीईआरटी-इन के अनुसार साइबर अपराधी एक छोटे इलेक्ट्रानिक उपकरण(स्कीमर मशीन यानी कार्ड रीडर) की मदद से डेबिट व क्रेडिट कार्ड का सीक्रेट नबंर और पासवर्ड आसानी से चुरा सकते है।
- माइक्रो एटीएम जीपीएस सर्वर से जुड़े होते है। इससे साइबर अपराधियों की पहुंच इस तक और आसान हो गई है।
- पीओएस में डाटा इनपुट टैक्सट में होता है। इससे ग्राहक के कार्ड की पूरी जानकारी सर्वर में सेव होती है।
- इस टैक्सट डाटा से आसानी से खातों में सेंध लगाई जा सकती है।
बर्ते यह सावधानियां:
- डेबिट व क्रेडिट कार्ड से भुगतान करते समय जरूर देखें कि स्वाइप मशीन पर कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस न जुड़ा हो।
- मैग्नेटिक स्ट्रीप वाले कार्ड की जगह चिप वाले कार्ड का इस्तेमाल करें। यह ज्यादा सुरक्षित है।
- व्यापारी स्वाइप मशीन उपयोग न होने पर मशीन को ऑफ करके रखें।
- माइक्रो एटीएम के सॉफ्टवेयर और एंटी वायरस रखें। समय-समय पर पासवर्ड बदलते रहें।