हाल ही में सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के लागू होने के बाद सरकार द्वारा कर्मचारी संघों की मांगों को ना माने जाने से नाराज़ कर्मचारी संघ के नेताओं ने 15 फरवरी को एक दिन की हड़ताल का ऐलान किया है.
इस राह चलने को मजबूर कर्मचारी :
- हाल ही में मांगे ना माने जाने पर नाराज़ कर्मचारियों ने 15 जनवरी को हड़ताल का एलान किया है
- नेताओं के अनुसार एनडीए सरकार के 3 मंत्रियों द्वारा उन्हें आश्वासन दिया गया था
- जिसके बाद अब वह पूरा ना होने पर वे इस राह पर चलने को मजबूर हुए हैं.
- कर्मचारी नेताओं का कहना है कि यह हड़ताल 33 लाख केंद्रीय कर्मचारी,
- इसके साथ ही 34 लाख पेंशनरों के आत्मसम्मान के लिए रखी गई है.
- इतना ही नहीं इन नेताओं का दावा है कि इस हड़ताल में 15 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा,
- केंद्र के अधीन काम करने वाली ऑटोनोमस बॉडी के कर्मचारी भी हिस्सा लेंगे.
- कर्मचारी नेताओं ने कहा कि एनडीए सरकार ने हमें धोखा दिया है.
- केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और सुरेश प्रभु द्वारा न्यूनतम वेतनमान और फिटमेंट फॉर्मूला में बढ़ोतरी के आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने पहले अपनी हड़ताल टाली थी.
- कर्मचारी नेताओं में एक का आरोप है कि आजादी के बाद से यह दूसरा सबसे खराब पे कमीशन है.
- उन्होंने कहा कि 1960 में मिले दूसरे वेतन आयोग के बाद सातवां वेतन आयोग सबसे खराब वृद्धि लाया है.
- कर्मचारी नेताओं का यह भी कहना है कि सरकार ने इस आयोग की रिपोर्ट बिना कर्मचारियों के सुझाव को स्वीकारे लागू कर दिया है.
- इन्होंने कहा कि 1960 में पूरे देश के केंद्रीय कर्मचारी पांच दिन की हड़ताल पर चले गए थे.
- जिसके बाद भी सरकार ने सातवें वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित ऑप्शन-1 (पैरिटी) को लागू नहीं किया है.
- इसे कैबिनेट ने भी पास कर दिया था.
ग्रामीण डाक सेवकों को भी नही हुआ लाभ :
- आपको बता दें कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें अभी तक ऑटोनोमस बॉडीज के कर्मचारियों को नहीं दी गई हैं.
- सरकार ने आगे के निर्देश मिलने तक इन संस्थानों में वेतनमान को अभी तक लागू नहीं किया है.
- वहीं, पोस्टल विभाग के तीन लाख से ज्यादा ग्रामीण डाक सेवकों को भी सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया है.
- इसके अलावा कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि सरकार ने समान काम पर समान वेतन का नियम उन तमाम मजदूरों,
- डेली वेज कर्मचारियों, अंशकालिक कर्मचारियों, ठेके के कर्मचारियों आदि पर अभी भी लागू नहीं किया है.
- इसके अलावा कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सातवें वेतन आयोग ने 19 नवंबर 2015 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी.
- 21 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने संशोधित एचआरए, ट्रांसपोर्ट अलाउंस और अन्य अलाउंस को लागू नहीं किया है.
- इन नेताओं का कहना है कि सरकार जानबूझकर देरी कर रही है
- ताकि इसे 01-01-2016 के बजाय मार्च 2017 से आरंभ होने वाले वित्तवर्ष में लागू किया जाए.
- इससे सरकार एरियर देने से बचना चाहती है.
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