उन्हें यह फ़िक्र है हरदम, नयी तर्ज़-ए-ज़फ़ा क्या है?
हमें यह शौक है देखें, सितम की इन्तहा क्या है?
दहर से क्यों ख़फ़ा रहें, चर्ख का क्या ग़िला करें।
सारा जहाँ अदू सही, आओ! मुक़ाबला करें।।
अंग्रेजों से भारत की आजादी के लिए देश के कितने ही लोगों ने स्वतंत्रता की आग में अपने प्राणों की आहुति दी थी। अंग्रेजों के चंगुल से देश को छुड़ाने के लिए कोशिशें बहुत पहले से ही शुरू हो गयी थी, लेकिन इन प्रयासों को बल देश में नरम-गरम दलों के बनने के बाद मिला। गरम दल से ही देश को अनेक ऐसे क्रन्तिकारी मिले थे, जिन्होंने अपने जीते जी अंग्रेजों की नाक में दम किये रखा। आज ही के दिन 23 मार्च को देश के तीन वीर सपूतों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर ने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
भगत सिंह(27 सितम्बर, 1907- 23 मार्च, 1931):
- वीर क्रन्तिकारी भगत सिंह का जन्म पंजाब राज्य(पाकिस्तान) के लायलपुर जिले के बावली गाँव में 27 सितम्बर 1907 को हुआ था।
- भगत सिंह का नाम भारत के क्रांतिकारियों के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है।
- आज भी देश में उनके बलिदान को युवकों के आदर्श के रूप में पेश किया जाता है।
- भगत सिंह को ब्रिटिश असेंबली में बम फेंकने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था।
- वीर क्रन्तिकारी भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को लाहौर, पंजाब में फांसी पर चढ़ाया गया था।
- मौजूदा समय में यह जगह पाकिस्तान में पड़ती है।
- हालाँकि, गौर करने वाली बात यह है कि, भगत सिंह इत्यादि की गिरफ़्तारी असेंबली में धमाका करने की वजह से हुई थी।
- लेकिन भगत सिंह समेत राजगुरु, और सुखदेव को ब्रिटिश अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई गयी थी।
- गौरतलब है कि, बम फेंकने के मामले की जाँच में भगत सिंह आदि की जॉन सांडर्स की हत्या में भी हाथ होने की पुष्टि हो गयी थी।
- भगत सिंह के क्रन्तिकारी बनने का सबसे बड़ा कारण जनरल डायर द्वारा जलियांवाला बाग़ हत्याकांड को अंजाम देना था।
- इस घटना ने भगत सिंह के मन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला था।
लाला जी की मौत बनी सांडर्स की हत्या की वजह:
- साल 1928 में साईमन कमीशन का भारत में आगमन हुआ था, जिसके तहत लाला लाजपत राय आदि क्रन्तिकारी इसका विरोध कर रहे थे।
- जिस पर ब्रिटिश पुलिस द्वारा प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लाठियां बरसाई गयीं।
- लाठियां बरसाने का आदेश जॉन सांडर्स ने दिया था।
- इस लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
- जिसके बाद इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था।
- लाला जी की हत्या के प्रतिशोध में भगत सिंह ने आजाद, राजगुरु और सुखदेव के साथ मिलकर सांडर्स की हत्या की योजना बनायी।
- जिसके बाद 17 दिसंबर 1928 को जॉन सांडर्स की हत्या कर दी गयी।
- हालाँकि, इसके बाद भगत सिंह आदि को पकड़ा नहीं जा सका।
- गौरतलब है कि, भाता सिंह आदि की गिरफ्तारी पहले असेंबली में बम फेंकने की वजह से हुई थी।
आजादी के दीवाने फांसी से पहले गा रहे थे गाना:
- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को लाहौर में फांसी दी गयी थी।
- फांसी के दौरान मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने अपने संस्मरणों में उस फांसी वाले दिन का कई जगह जिक्र किया है।
- ऐसा कहा गया है कि, फांसी के लिए ले जाते वक्त तीनों क्रन्तिकारी एक साथ मस्ती में गाना गा रहे थे।
गाने के बोल थे, “ मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे,
मेरा रंग दे बसंती चोला। माय रंग दे बसंती चोला”।।
भगत सिंह के कुछ अनसुने किस्से:
- वीर क्रन्तिकारी भगत सिंह मात्र 23 साल की उम्र में फांसी पर चढ़ गए थे।
- भगत सिंह ने अपने आखिरी समय में याचिका दायर कर कहा था कि, हमने आपके खिलाफ युद्ध छेड़ा है।
- उन्हने आगे लिखा था कि, फिर तो आपको ठीक वैसा ही करना चाहिये, जैसा एक युद्धबंदी के साथ किया जाता है।
- जिसके बाद याचिका में उन्होंने फांसी की बजाय युद्धबंदियों की तरह गोली से छलनी करने की मांग की थी।
- भगत सिंह की फांसी के दौरान कोई भी जज आब्जर्वर की भूमिका निभाने को तैयार नहीं था।
- जिसके बाद उसी जज को आब्जर्वर की भूमिका निभानी पड़ी जिसने फांसी का आदेश दिया था।