उज्जैन : सिंहस्थ महाकुंभ का पहला पर्व स्नान विशेष संयोग में मंगलवार, 3 मई 2016 को है। 40 वर्ष बाद यह विशेष योग बना है, जब वरुथिनी एकादशी और पर्व स्नान एक साथ आ रहे हैं।
भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद
इसे एकादशी का स्नान भी कहा जा सकता है, इस स्नान का एक नाम वरुथिनी एकादशी व्रत स्नान भी है। जैसा की उम्मीद की जा रही है ,देश के विभिन्न इलाकों से भारी संख्या में श्रद्धालु आने वाले हैं।
इस पर्व स्नान के दौरान प्रशासन के सामने भीड़ को नियंत्रित और उनको सँभालने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।सोमवार को प्रशासनिक अधिकारियों ने रामघाट, दत्त अखाड़ा, भूखी माता आदि का दौरा कर व्यवस्थाएं देखीं जहाँ पर स्नान घाट है।
वरुथिनी एकादशी का महत्त्व
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि पर्व स्नान के साथ में ऐन्द्र योग की साक्षी में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी वरुथिनी एकादशी के नाम से जानी जाती है। ऐन्द्र योग तथा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के संयोग में वैशाखी मंगलवार के दिन इसका महत्व और बढ़ जाता है।
पार्किंग और अन्य व्यवस्थाओं पर भी रहेगी नजर
स्नान के साथ ही पार्किंग पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। चारधाम, भूखी माता, हरसिद्धि पाल, बडऩगर रोड, रणजीत हनुमान के पास आदि स्थानों पर पार्किंग रहेगी। घाट पर किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए तैराक दल मौजूद रहेंगे।