देश की राजधानी दिल्ली के वायु प्रदूषण के बाद उत्तर प्रदेश समेत आस-पास के कई राज्यों में हालात ख़राब हो चुके हैं, गौरतलब है कि, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने बीते शनिवार को एक सूची जारी की थी, जिसके मुताबिक देश के सबसे प्रदूषित शहर में गाजियाबाद पहले स्थान पर  था, वहीँ सूबे की राजधानी लखनऊ वायु प्रदूषण के स्तर के चलते सूची में दूसरे स्थान पर थी, वहीँ इस धुंध और प्रदूषण के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के  किसानों को दोषी ठहराया जाता है, जो की खेतों में बचने वाले फसल के अवशेषों को जला देते हैं। देश की केंद्र सरकार ने फिलहाल इस समस्या का एक समाधान ढूँढा है, जिससे थोड़ी राहत मिलने की सम्भावना है।

पराली से बिजली बनाएगी केंद्र सरकार:

  • देश की केंद्र सरकार ने किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली और उससे पैदा होने वाले प्रदूषण को कम करने की एक योजना बनायी है।
  • जिसके तहत केंद्र सरकार द्वारा किसानों से पराली खरीद कर बिजली बनायी जाएगी।
  • गुरुवार को केन्द्रीय बिजली मंत्री आरके. सिंह ने प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना के वेब पोर्टल को लांच किया था।
  • जिस दौरान उन्होंने जानकारी दी कि, NTPC किसानों से पराली खरीदेगा, जिसे NTPC कोयले के साथ इस्तेमाल कर के बिजली उत्पादित करेगा।
  • साथ ही इस योजना से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
  • गौरतलब है कि, सरकार किसानों से 5500 रुपये प्रति टन के हिसाब से पराली खरीदेगी।
  • एक अंदाजे के मुताबिक, करीब एक एकड़ जमीन में दो टन तक पराली निकलती है।
  • जिससे किसानों को प्रति एकड़ करीब 11 हजार रुपये का फायदा होगा।
  • ज्ञात हो कि, इस योजना से NPTC पर भी कोई अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा।
  • हालाँकि, इस योजना को फसल चक्र के अगले क्रम से इस्तेमाल करना शुरू किया जायेगा।

NGT ने NTPC से मांगी जानकारी:

  • NTPC किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली को लेकर बिजली उत्पादन में इस्तेमाल करेगा।
  • जिसके तहत NGT ने NTPC से पूछा था कि, उत्तर प्रदेश और हरियाणा स्थित उसके पॉवर प्लांट कितनी मात्रा में पराली का इस्तेमाल किया जा सकता है?
  • साथ ही NGT ने NTPC से उसके उत्तर प्रदेश में 6 और हरियाणा के 1 पॉवर प्लांट में जा रहे कोयले की मात्रा की भी जानकारी मांगी थी।

वायु प्रदूषण का कारण पराली नहीं पश्चिम एशिया में चलने वाली धूल भरी आंधी है:

  • दिल्ली में हुए स्मॉग के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के किसानों को दोषी माना जा रहा है।
  • लेकिन केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, यह स्मॉग पश्चिम एशिया में चलने वाली धूल भरी आँधियों के चलते हुआ था।
  • एजेंसी सफ़र की रिपोर्ट के मुताबिक, 8 नवम्बर को शुरू हुए स्मॉग में 40 फ़ीसदी भागीदारी धूल भरी आंधी की थी।
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