उच्चतम न्यायालय ने बीते दिन केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह जोखिम भरे इलाकों में सेना के लिए काम करने वाले सहायकों (पोर्टर) को बेहतर भुगतान, चिकित्सा सुविधा, बढ़ी हुई आर्थिक सहायता व सेवा से अलग होने की स्थिति में 50,000 रुपये की प्रस्तावित राशि से अधिक का अनुदान देने के लिए एक योजना तैयार करे.
करीब 12,000 है सहायकों की संख्या :
- उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को सेना के असैन्य सहायकों की मदद हेतु निर्देश दिए हैं.
- यह सहायक राजौरी, जम्मू और पुंछ जैसे इलाकों में भारतीय सेना की मदद करते हैं.
- बताया जा रहा है कि इनकी संख्या करीब 12,000 है.
- देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र से यह भी कहा कि इनको स्थायी करते समय इन सहायकों के बड़े हिस्से को ध्यान में रखा जाए.
- ताकि अधिक से अधिक लोगों को कार्यकाल के फायदे मिल सकें जिन्होंने न्यूनतम सेवा की अवधि पूरी की है.
- प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने यह निर्देश जारी किया है.
- साथ ही यह भी कहा कि ये सहायक समाज के बहुत गरीब तबके से आते हैं.
- उनके पास शायद शैक्षणिक योग्यता नहीं हो.
- परंतु वे सेना को महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं.
- इसके अलावा सीमावर्ती इलाकों में अभियानों का अभिन्न हिस्सा होते हैं.
- न्यायालय ने आदेश दिया कि इन सहायकों के लिए योजना को तीन महीने में अंतिम रूप दिया जाए.
- साथ ही न्यायालय ने 29 सहायकों की ओर से दायर याचिकाओं का निस्तारण भी किया है.
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