यह पहला मौका है जब देश की सर्वोच्च न्यायालय के जजों की छुट्टियां रद्द कर दी गई। बताया जा रहा है कि संवैधानिक महत्व से जुड़े तीन महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई हो सके इसलिए कम से कम 15 जजों की आगामी गर्मी की छुट्टियां काट दी गई हैं।
लंबित मामले भावनाओं से जुड़ी है:
- मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि जो लंबित मामले हैं, वह ‘भावनाओं’ जुड़ी हैं।
- कहा पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर विचार करेगी, जिसके लिए विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है।
- गौरतलब है कि अब तक गर्मियों की छुट्टियों में दो जजों की एक बेंच उपलब्ध होती थी जो कुछ मामलों की सुनवाई करती थी।
- लेकिन यह पहल मौका है जब सर्वेोच्च न्यायालय के 28 में से 15 जज अपनी छुट्टी का अधिकतर हिस्सा मामलों की सुनवाई और फैसले लिखने में निकाल देंगे।
महत्वपूर्ण मामलों को लेकर लिया गया निर्णय:
- भारत के मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर ने इसके लिए तीन अलग संविधान खंडपीठ बनाई हैं।
- ये खंडपीठ गर्मी की छुट्टियों में सभी तीन महत्वपूर्ण मामले को देखेंगी।
- इन मामलों में से एक मुस्लिमों में होने वाले तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह से संबंधित है।
- इसके अलावा दो अन्य मामले आधार और व्हाट्सएप से जुड़े विषय शामिल हैं।
- जिन पर गर्मियों की छुट्टियों के दौरान अन्य संविधान पीठों द्वारा विचार किया जा सकता है
- बता दें कि संविधान पीठ 11 मई से इन परंपराओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
- साथ ही पीठ छुट्टियों के दौरान शनिवार और रविवार को भी इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार है।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जताई आपत्ति:
- छुट्टियों के दौरान तीन संविधान पीठों के गठन पर अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने व्यक्त की नाराजगी।
- मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह पूरी छुट्टियों का समय ले लेगा।
- अटार्नी जनरल के छुट्टियों वाले सवाल का सीजेआई जेएस खेहर ने दिया जवाब।
- कहा कि ‘अगर आप (छुट्टियों के दौरान) इसे नहीं करना चाहते हैं तो हमें जिम्मेदार मत ठहराइए।
- आगे सीजेआई ने अपना बात करते हुए कहा कि मैं पिछली बार पूरी छुट्टियों भर फैसले लिखता रहा। हमें एकसाथ काम करना होता है।
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