सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित करने के बाद अब मुस्लिम बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ केंद्र सरकार और लॉ कमिशन को नोटिस जारी किया है. मुस्लिम समाज में प्रचलित विवाह की इन प्रक्रियाओं को गैरकानूनी घोषित करने की मांग को लेकर दायर की गयी चार याचिकायों पर न्यायालय ने नोटिस जारी किया है.

पांच सदस्यीय पीठ का होगा गठन

सोमवार को दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और विधि आयोग से जवाब माँगा है. याचिका दायर करने वालो में से एक बीजेपी नेता है. इसके अलावा दिल्ली की नफीसा खान, समीना बेगम और मौलिम मोहसिन बिन हुसैन विन अब्दाद अल खतरी हैं.

मुस्लिमों में हलाला या निकाह हलाला एक रस्म है। शरियत के मुताबिक, कोई तलाकशुदा महिला अपने पहले पति से तब तक दोबारा शादी नहीं कर सकती जब तक कि वह किसी और से शादी करके तलाक न ले ले। वहीं मुस्लिमों को कानून में एक से ज्यादा शादी करने की छूट दी गई है। इसे बहुविवाह कहते हैं।

दिल्ली की नफीसा खान की याचिका के अनुसार,  हलाला धारा 375 के तहत बलात्कार है. बहुविवाह आईपीसी की धारा 494 के तहत अपराध है. लिहाजा अदालत उन्हें खारिज करे.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में ऐतिहासिक फैसला देते हुए तलाक-ए-बिद्दत यानि तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था। साथ ही कहा था कि यह धर्म का अभिन्न अंग नहीं है। उस वक्त कोर्ट में तीन तलाक के साथ बहुविवाह और निकाह हलाला का मुद्दा भी उठा था, पर कोर्ट ने इन पर बाद में विचार करने की बात कही थी। जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा सहित 3 सदस्यीय पीठ में माना कि 2017 में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में तीन तलाक को खत्म करते हुए बहुविवाह और हलाला को इसके दायरे से बाहर रखा था.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा,  न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि बहुविवाह और हलाला के मामले पर कार्यवाही करने के लिए पांच सदस्यीय पीठ का गठन किया जायेगा.

 

 

 

 

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