सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अहम मुद्दे पर फैसला सुनाये जाने के बीच एक आदेश दिया गया है. जिसके तहत क्रिश्चियन पर्सनल लॉ, इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872 और डिवोर्स एक्ट 1869 को रद्द कर प्रभावी नहीं हो सकता. यानी साफ है कि पर्सनल लॉ के तहत चर्च से दिए गए तलाक वैध नहीं होंगे.
कैनन लॉ के तहत तलाक कानूनी रूप से नहीं होगा मान्य :
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की एक दलील को स्वीकृति दे दी है.
- जिसके तहत किसी भी धर्म के पर्सनल लॉ देश के वैधानिक कानूनों पर हावी नहीं हो सकते.
- बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के 1996 के उस आदेश का हवाला दिया था.
- यानी कैनन लॉ के तहत तलाक कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा.
- साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया,
- जिसमें चर्च से मिले तलाक को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग की गई थी.
- याचिका में कहा गया था कि चर्च से मिले तलाक पर सिविल कोर्ट की मुहर लगना जरूरी न हो.
- दरअसल, मंगलौर के रहने वाले क्लेरेंस पायस की इस जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में ही विचारार्थ स्वीकार कर लिया था.
- खास बात यह है कि ईसाइयों के धर्म विधान के मुताबिक कैथोलिक ईसाइयों की चर्च में धार्मिक अदालत में पादरी द्वारा तलाक व अन्य डिक्रियां दी जाती हैं.
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