अब यौन अपराध के मामले में पीड़ित की शारीरिक उम्र इस बात का आधार होगी कि आरोपी पर पॉक्सो लगे या नहीं। इसके लिए उच्चतम न्यायालय ने पीड़ित की मानसिक उम्र को आधार मानने से इंकार कर दिया हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बनाया यह आधार-
- दिल्ली की महिला ने अपनी 38 साल की बेटी के साथ हुए बलात्कार के आरोपी पर पॉक्सो के तहत मुकदमा चलाने की मांग की।
- इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने का कि उसकी बेटी को सेरिब्रल पाल्सी है, जिस वजह से उसका मानसिक विकास नहीं हुआ हैं
- घटना के समय वह 6 साल के बच्चे जैसी थी।
- इस वजह से उसके साथ हुए अपराध को बलात्कार को दूसरे मामलों की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।
- महिला ने बताया कि घटना के बाद उसकी बेटी सहम गई
- अब उसकी दिमागी क्षमता 3 साल के बच्चे जैसी हो गई है।
- वो ठीक से अपना बयान भी मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज नहीं करा पाई।
- उच्चतम न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखा और माना।
- लेकिन नए सिरे से कानून की व्याख्या करने से इंकार कर दिया।
क्या है पॉक्सो एक्ट-
- प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड फ्रॉम सेक्सुअल ओफेंसस यानी पॉक्सो एक्ट।
- यह एक्ट 10 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ यौन अपराधों के मामलों में लगाया जाता है।
- इस में बेहद सख्त सजा का प्रावधान है।
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