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अयोध्या विवाद / 1993 जमीन अधिग्रहण कानून के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Supreme court to hear petition against Ayodhya land acquisition law

Supreme court to hear petition against Ayodhya land acquisition law

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के 1993 जमीन अधिग्रहण कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। इस कानून के तहत ही केंद्र सरकार ने अयोध्या में 67.707 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था, इसमें राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की विवादित भूमि भी शामिल है।

 

राज्य पर धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार

याचिका में दावा किया गया है कि संसद को राज्य के अंतर्गत आने वाली किसी जमीन का अधिग्रहण करने का विधायी अधिकार नहीं है। इसमें कहा गया है कि राज्य विधानसभा को अधिकार है कि वह राज्य में आने वाले धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन के बारे प्रावधान करने का अधिकार है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से गैर-विवादित जमीन लौटाने की मांग की

केंद्र सरकार ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर मांग की है कि अयोध्या की गैर-विवादित जमीनें उनके मूल मालिकों को लौटा दी जाएं। 1991 से 1993 के बीच केंद्र की तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने विवादित स्थल और उसके आसपास की करीब 67.703 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में इस पर यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए थे।

 

2.77 एकड़ परिसर के अंदर है विवादित जमीन
अयोध्या में 2.77 एकड़ परिसर में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद है। इसी परिसर में 0.313 एकड़ का वह हिस्सा है, जिस पर विवादित ढांचा मौजूद था और जिसे 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था। रामलला अभी इसी 0.313 एकड़ जमीन के एक हिस्से में विराजमान हैं। केंद्र की अर्जी पर भाजपा और सरकार का कहना है कि हम विवादित जमीन को छू भी नहीं रहे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नौ साल पहले फैसला सुनाया था

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