कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच लंबे समय से चले आ रहे कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह इस पर सुनवाई करता रहेगा। उसे फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनावई करने का अधिकार है। अभी के लिए कर्नाटक को आदेश दिया गया है कि वह तमिलनाडु को 2 हजार क्यूसेक लीटर पानी रोजाना देता रहे।
अगली सुवाई 15 दिसंबर को :
- कावेरी जल विवाद पर ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
- फिलहाल इस मामले पर अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 15 दिसंबर को होगी।
- इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 5 सिंतबर को कर्नाटक को आदेश दिया था कि वह तमिलनाडु को 20 सितंबर तक 12 हजार क्यूसेक कावेरी का पानी दे।
- लेकिन इस फैसल के विरोध में कर्नाटक में हिंसा शुरू हो गई थी। जिससे ऐसा नहीं हो सका।
जानें क्या है कावेरी विवाद :
- कावेरी नदी का उद्धम स्थान कर्नाटक के कोडागु जिले में है।
- जो कि कर्नाटक के कई शहरों से होते हुए तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- इस बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किलोमीटर और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है।
- दोनों ही राज्यों में इसके पानी को लेकर 1892 से विवाद जारी है।
- जून 1990 में केंद्र सरकार ने कावेरी ट्रिब्यूनल बनाया, जिसने 16 वर्षों की सुनवाई के बाद 2007 में फैसला दिया।
- फैसले में प्रति वर्ष 419 अरब क्यूबिक फीट पानी तमिलनाडु औऱ 270 अरब क्यूबिक फीट पानी कर्नाटक को दिया जाना तय हुआ।
- लेकिन दोनों राज्य इस पर खुश नहीं थे।
- 2012 में कावेरी नदी प्राधिकरण ने कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु को रोज 9 हजार क्यूसेक पानी दे।
- राज्य से इस पर अमल किया लेकिन तमिलनाडु को पानी जारी करने की बात आते ही वहां हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गया।
- मामला न सुलझने पर इस साल अगस्त में तमिलनाडु की सीएम जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट जा पहुंची।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें