हमारे पुरुष प्रधान देश में जब बेटे कोई उपलब्धि हांसिल करते हैं माता-पिता के खुशी का ठिकाना देखते ही बनता है लेकिन जब एक बेटी को कोई उपल्ब्धि हांसिल करती है तो न सिर्फ माता-पिता को बल्कि पूरे देश को गर्व की अनुभूति होती है। आज भारत की बेटियां रोज नित नई ऊंचाईयों को छू रही हैं। इसी क्रम में विश्व का सबसे बड़े सीमा रक्षक बल ‘बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स’ (BSF) को 51 साल बाद पहली महिला कमांडेंट के रूप में तनुश्री पारीक मिल गई हैं।
बतौर कमांडेंट सीमा की सुरक्षा करेंगी:
- तनुश्री पारीक पंजाब की सीमा पर देश की निगहबानी के लिए तैनात रहेंगी।
- आपको बता दें कि ग्वालियर के टेकनपुर में दो दिन पूर्व तनुश्री की पासिंग आउट परेड हुई।
- तनुश्री ने पासिंग आउट परेड का नेतृत्व किया।
- इस परेड के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बीएसएफ की पहली महिला सहायक कमांडेट के तौर पर सम्मानित किया।
- इस मौके पर उन्हें बेस्ट इन ड्रिल, ऑल राउंड बेस्ट ट्रेनी के साथ एफ एंड सी फ्रंटियर ट्रॉफी फॉर पब्लिक स्पीकिंग ट्राफी से सम्मानित किया गया।
गृहनगर में लहराते तिरंगे के बीच हुआ ज़ोरदार स्वागत:
- तनुश्री पारीक मूलरूप से राजस्थान के बीकानेर की रहने वाली हैं।
- पासिंग आउट परेड के बाद पहली बार तनुश्री अपने गृहनगर पहुंचीं, तो नजारा देखते ही बन रहा था।
- वहां हवा में लहराते तिरंगे के बीच लोगों के भारी भीड़ ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया।
लड़के-लड़की जैसा कोई भेद नहीं होना चाहिए:
- गृह नगर पहुंची तनुश्री ने अपनी इस सफलता का श्रेय दादाजी, परिवार और कड़ी मेहनत को दिया।
- तनुश्री ने कहा ट्रेनिंग के दौरान प्रशिक्षक ने उन पर पूरा भरोसा करते हुए आगे बढ़ने के लिए हर संभव का समर्थन दिया।
- आगे कहा कि बच्चों में लड़के-लड़की जैसा कोई भेद नहीं होना चाहिए।
- कहा कि हर किसी में क्षमता होती है जरूरत है उसे बस मौका देकर निखारने की।
- उन्होंने कहा कि इस वक्त उनका पूरा फोकस उन्हें मिली जिम्मेदारी पर है।
- जिसे वो अपनी पूरी क्षमता और योग्यता के साथ पूरा करेंगी।
- बीकानेर शहर को अपनी इस बेटी पर नाज़ है।
- उनमें ख़ासा उत्साह है कि देश की सुरक्षा में पहली महिला कमांडेंट का संबंध उनके शहर से है।
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