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त्रिनेत्र’ के सहारे घने कोहरे को चीरती हुई निकलेगी प्रभु की रेल

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कोहरे के कहर से रद्द होने वाली ट्रेनों और देर होने वाली ट्रेनों की वजह से उत्तर भारत में करोड़ों यात्री प्रभावित होते हैं और इसके वजह से रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। रेलवे ने रडार आधारित इंफ्रा-रेड और हाई रिजॉल्यूशन वाले कैमरों के इनपुट से लैस त्रिनेत्र सिस्टम का घने कोहरे में इसी साल जनवरी में सफल परीक्षण किया था। और अब भारतीय रेल कोहरे के बीच भी बिना देरी के यात्रियों को सफर कराने में कामयाब हो सकेगी।

पहली बार ये परीक्षण लखनऊ और नई दिल्ली रेलमार्ग पर 8 जनवरी 2016 को लखनऊ मेल में किया गया था, और ये परीक्षण इजरायल की एक कंपनी के साथ मिल कर किया गया था।

इस परीक्षण की सफलता के बाद रेलवे ने इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल ठंडी सीजन में उत्तर भारत की तकरीबन 100 गाड़ियों पर इस सिस्टम को लगाया जाएगा और कोहरे के बीच भी यात्री समय से अपने गंतव्य स्थान तक पहुँच सकेंगे।

रेलवे बोर्ड के मेंबर मैकेनिकल हेमंत कुमार ने इस बारे जानकारी देते हुए कहा कि हम त्रिनेत्र के परीक्षण से संतुष्ट हैं और उम्मीद है कि इस साल इस सिस्टम का प्रयोग कोहरे में गाड़ियों की आवाजाही में किया जाएगा। कोहरे के आर-पार देखने के लिए रेल मंत्रालय ने एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट यानी ईओआई का आमंत्रण किया है।

अब ये आने वाला समय बताएगा कि रेलवे को इससे कितना फायदा होगा लेकिन सुरेश प्रभु का देरी से चलने वाली ट्रेनों पर नजर रखना एक सराहनीय पहल हो सकती है।

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