सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक की सुनवाई (triple talaq ) कर रही पीठ में किसी महिला जज के न होने पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने ऐतराज जताते हुए सवाल खड़े किए हैं। महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि इस सुनवाई में कम से कम कम एक महिला जज तो होनी ही चाहिए। गौरलतब है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पांच जजों की संवैधानिक पीठ कर रही है।
सुनवाई में एक महिला जज होनी चाहिए :
- राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने ऐतराज जताते हुए सवाल खड़े किए हैं।
- ललिता कुमारमंगलम ने कहा कि इस सुनवाई में कम से कम एक महिला जज तो होनी ही चाहिए।
- कहा कि मैं किसी भी जज की क्षमता पर सवाल नहीं उठा रही हूं, लेकिन को इस बेंच की हिस्सा होना चाहिए।
- आगे कहा कि एक सिख, एक ईसाई, एक पारसी, एक हिंदू और एक मुस्लिम-सभी जज अलग-अलग धर्मों से आते हैं।
- कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कुल 28 जजों में जस्टिस बनुमथी इकलौती महिला हैं।
ये धर्म का मामला नही है :
- कुमारमंगलम ने कहा कि तीन तलाक की सुनवाई के दौरान शोरगुल को देखकर मुझे थोड़ा ताज्जुब हुआ।
- कहा कि जजों का धर्म अलग-अलग देखकर ऐसा लगा कि ये मामला धर्म का नहीं बल्कि महिलाओं और बच्चों के अधिकारों से जुड़ा हुआ मामला है।
- कहा कि विभिन्न धर्मों के जजों को शामिल किया जाना मुझे बेचैन कर रही है।
- मुझे बेचैन कर रही है कि इस मुद्दे का वास्ता धर्म से नहीं बल्कि महिला अधिकारों और मानवाधिकारों के साथ बच्चों से है।
यह मानवाधिकार का मुद्दा है :
- गौरतलब है कि बीते साल भी राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने तीन तलाक को पूरी तरह से बैन करने की बात कही थी।
- जिसके एक महीने बाद ही केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह इसके खिलाफ है।
- कुमारमंगलम का कहना है कि भले ही इस मुद्दे पर राजनीति की जा रही हो लेकिन ये पूरी तरह से मानवाधिकार का मुद्दा है।
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