भारत देश में एक लंबे समय से चल रहे तीन तलाक के मामले में राय अब दो पाट हो चुकी है. दरअसल एक तरफ देश में संविधान है जिसके तहत सभी महिलाओं को एक जैसा माहौल मिलना चाहिए साथ ही नियम व क़ानून भी एक जैसे होने चाहिए, वहीँ दूसरी ओर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड(AIMPLB) है जिसके अनुसार धर्म को मानना हर व्यक्ति के लिए अहम है. साथ ही धर्म के अंतर्गत बनाए गए सभी नियमों को मानना भी उनता ही ज़रूरी है. जिसके बाद तीन तलाक का मामला अब तूल पकड़ चुका है. बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बहुत सारी याचिकाएं दायर हुई हैं. जिसपर अभ कोर्ट की एक पीठ आगामी 11 मई से सुनवाई करेगी.
पांच न्यायाधीशों की पीठ का हुआ गठन :
- भारत देश में कई धर्म व संस्कृतियाँ हैं परंतु इनमे से एक धर्मं है इस्लाम जिसका अपना एक बोर्ड है.
- बता दें कि धर्म के बोर्ड के अंतर्गत जो नियम व क़ानून हैं वे देश के संविधान से कुछ अलग हैं.
- जिनमे से ख़ास है तीन तलाक का नियम जिसके अनुसार एक पति अपनी पत्नी को मुंहज़बानी तालाक दे सकता है.
- बता दें कि इस द्स्शार्म के इस नियम का बीते कई समय से विरोध किया जा रहा है.
- गौरतलब है कि इस नियम का विरोध कोई और नहीं बल्कि खुद इस धर्म की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है.
- जिसके तहत अब देश के उच्चतम न्यायालय में इससे जुड़े कई मामलों पर याचिकाएं भी दायर की जा चुकी हैं.
- जिसके बाद अब इन सभी याचिकाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक पीठ का गठन किया गया है जिसमे पांच न्यायाधीश होंगे.
- बता दें कि यह सभी न्यायाधीश इन मामले से जुड़ी सभी याचिकायों पर सुनवाई करेंगे.
- हालाँकि इस मामले पर मुस्लिम लॉ बोर्ड एक अलग सोच रखता है.
- बता दें कि इस बोर्ड व धर्म प्रचारकों के अनुसार यह नियम-क़ानून महिलाओं के हित के लिए ही बनाए गए हैं.
- जिसके बाद अब इन मामलों पर चलने वाली कार्यवाई के बाद सामने आयेगा की इस नियम को बदला जाये या नहीं.
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