देश के 50 प्रतिशत से अधिक कामकाजी महिलाओं का कहना है कि उन्हें अपने कार्यालय स्थल पर अपने बच्च्चों को स्तनपान करने में परेशानी होती है। उनके कार्यालयों में कोई ऐसी जगह उन्हें नहीं दी गयी है जहाँ वो एकांत में बैठकर अपने शिशु को स्तनपान करा सकें।एक सर्वेक्षण के बाद ये सच सामने आया है। यह सर्वेक्षण दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू, हैदराबाद और चेन्नई आदि बड़े शहरों में किया गया।
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कार्यालय में बनाया जाये फीडिंग रूम
- हर साल की तरह इस साल भी देश में स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है।
- स्तनपान सप्ताह मनाये जाने का मात्र ये ही उद्देश है कि हर शिशु को माँ का दूध मिल सके।
- आजकल ज्यादातर महिलाएं घर के बहार जाकर कुछ ना कुछ कम करती हैं।
- ऐसे में वो पूरा समय घर में नहीं दे पाती जिससे शिशु को माँ का दूध नहीं मिल पाता है।
- हालही में हुए एक सर्वेक्षण से शिशुओ को स्तनपान ना करा पाने का करण पता चला।
- 78 प्रतिशत माताओं ने प्रसव के बाद पहले 6 महीनों के लिए स्तनपान कराने की योजना बनाई थी।
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- इनमें से 54 प्रतिशत को मां बनने के बाद अपने कैरियर की आकांक्षा दबानी पड़ी।
- विश्व स्तनपान सप्ताह का लक्ष्य स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और माता को स्तनपान देने के लिए प्रोत्साहित करना है।
- एक बड़ा हिस्सा मातृत्व की जिमेदारियों और एक पेशेवर के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के बीच जकड़ा है।
- कई नए प्रयास जैसे कि अलग से फीडिंग रूम स्थापित करने से नई माताओं को शिशुओं की देखभाल करने में मदद मिलेगी।
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