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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का प्रतिमाह वेतन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज्यादा बताया गया है। अरविंद केजरीवाल का वेतन प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं बल्कि देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी ज्यादा है।

हैरान करने वाली इस खबर का सच जानने के लिए सभी साक्ष्यों को जुटाया गया है। इस दावे में अरविन्द केजरीवाल की प्रतिमाह आय 3.2 लाख बताई गई है।

इस खबर का सच देखें अगले पेज पर 

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सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस खबर के बारे में जानकारी जुटाने के बाद ये पाया गया है कि देश के राष्ट्रपति का वेतन 1 लाख 50 हजार है और इसके अलावा राष्ट्रपति भवन के रख-रखाव के लिए 22 करोड़ का अतिरिक्त खर्च भी सरकार आवंटित करती है।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मूल वेतन 50 हजार रुपए है और इन्हें व्यय संबंधी भत्ते के तौर पर 3 हजार रुपए प्रतिमाह भी दिया जाता है। इसके अलावा रोजाना भत्ता 2 हजार रुपए के हिसाब से 60 हजार रुपए होता है। पीएम के संसदीय क्षेत्र भत्ता 45 हजार महीना जोड़ने के बाद कुल वेतन प्रतिमाह 1 लाख 58 हजार रुपए मिलता है। आवास 7 रेस कोर्स और अन्य सुविधाओं को इसमें नहीं जोड़ा गया है।

अरविंद केजरीवाल का मूल वेतन 20 हजार प्रतिमाह है जबकि क्षेत्र भत्ता 18,000 रूपये प्रतिमाह के अलावा व्यय संबंधी भत्ता 4,000 रूपये प्रतिमाह भी मिलता है और रोजाना भत्ता 1 हजार के हिसाब से 30 हजार प्रतिमाह होता है। इस हिसाब से केजरीवाल की तनख्वाह 72 हजार रुपये प्रतिमाह होती है। इसके अलावा बिजली, बाहर घूमने फिरने और मेडिकल सुविधा के अलावा कुछ अन्य भत्ते भी दिल्ली के मुख्यमंत्री को मिलते हैं।

किस स्थिति में केजरीवाल की तनख्वाह पीएम से ज्यादा हो जाएगी, देखें अगले पेज पर 

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अगर दिल्ली विधानसभा की वेतन वृद्धि की सिफारिशें मंजूर होती हैं तब अरविंद केजरीवाल का वेतन प्रतिमाह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के वेतन के कहीं अधिक हो जाएगा। इस स्थिति में केजरीवाल का वेतन कुछ इस प्रकार होगा-

मूल वेतन  के रूप में 80,000 रूपये, क्षेत्र भत्ता के रूप में 50,000 रूपये रोजाना भत्ता (30 दिन) के रूप में 60,000 रुपये और इसके अलावा अन्य भत्ते जोड़ने पर अरविंद केजरीवाल की प्रतिमाह तनख्वाह 2 लाख 20 हजार रुपए हो जाएगी जबकि अभी केजरीवाल का वेतन 72 हजार प्रतिमाह है। 

जबकि एक विधायक के तौर पर काम करने के लिए 25,000 रूपये महीने भी दिए जाएंगे। सैलरी के अलावा देश विदेश घूमने का भत्ता 3 लाख सालाना होगा जो कि अभी 50 हजार है। चार निजी स्टॉफ की सैलरी के तौर पर 30000 रूपये महीना मिलेगा। 

फिलहाल ये बिल दिल्ली विधानसभा ने पास करके केंद्र के पास भेजा था पर केंद्र ने ये कहकर बिल लौटा दिया कि इस बिल पर उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है।

बता दें कि विधानसभा के किसी बिल के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी जरुरी होती है और इसके बिना ये बिल पास नही किया जा सकता है।

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