महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 1993 में हुए बम धमाकों में दोषी करार अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को उम्रकैद की सजा मिल चुकी है। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की गलियों में खेलने वाला अबू सलेम जिस तरह से जुर्म की दुनिया में प्रवेश किया। उसकी कहानी भी बहुत दिलचस्प है।
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1984 में आजमगढ़ से मुंबई आया :
- नौवीं पास अबू सलेम मूल रूप से यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला है।
- वह 1984 में रोजगार की तलाश में वह अपने एक दोस्त शमी के साथ मुंबई आया था।
- उसका एक भाई, जिसका मालाड पश्चिम में होटल का बिजनेस था, उसके जोगेश्वरी स्थित घर में वह करीब चार साल तक रहा था।
- 1986 में सलेम ने अंधेरी के एक शॉपिंग सेंटर में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोली।
- जहां उसने 1992 तक इलेक्ट्रॉनिक्स का कारोबार किया।
- उस दौरान माहिम में रहने वाला अजीज इंर्पोटेड के बिजनेस से जुड़ा हुआ था।
- उसके आदमी बैंकॉक, हॉन्ग कॉन्ग, दुबई जाते थे। अबू सलेम अजीज से सामान लेता था।
- सलेम के एक रिश्तेदार अब्दुल वकील सऊदी अरब में काम करते थे, वह 1992 में मुंबई आए।
- उन्होंने अंधेरी में हंसनाबाद लेन में पासपोर्ट एजेंट और जॉब रिक्रूटमेंट एजेंसी के तौर पर अपना बिजनेस शुरू किया।
- उसी दौरान मेंहदी हसन, जो खुद एक पासपोर्ट एजेंट था, उसने अब्दुल वकील के साथ काम करना शुरू कर दिया।
- मेंहदी उन दिनों सलेम के पास भी आता-जाता रहता था।
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रहीम अंतुले ने सलेन और रियाज को मिलवाया :
- 1991 में गवली गैंग के शूटरों ने दाऊद इब्राहिम के बहनोई इब्राहिम पारकर का कत्ल कर दिया था।
- इब्राहिम के अंतिम संस्कार में अबू सलेम और रियाज सिद्दकी भी आए थे।
- वहां पर अनीस इब्राहिम के साले रहीम अंतुले ने सलेम और रियाज को एक दूसरे से मिलवाया था।
- उसके बाद सलेम के ऑफिस में रियाज नियमित आता जाता रहा।
- आरोप है कि जो हथियार व विस्फोटक अबू सलेम अजीज के साथ भरूच से लेकर आया था, उसे रियाज ने ही उपलब्ध कराया था।
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1992-93 में अवैध धंधे में शामिल हुआ :
- सन 1992-93 में अजीज गोल्ड और सिल्वर स्मगलिंग के अवैध धंधे में शामिल हो गया।
- सलेम उससे गोल्ड और सिल्वर खरीदने लगा और उन्हें कांदिवली, मालाड के दो व्यापारियों और अंधेरी की दो दुकानों में बेचने लगा।
- दिसंबर 1992 के आखिरी सप्ताह में अजीज ने सलेम को सिल्वर लाने का लालच देकर भरूच चलने का ऑफर दिया
- मेंहदी हसन व कुछ अन्य को भी अजीज ने अपने साथ रख लिया।
- अजीज सभी को पहले बताई गई जगह से करीब 50 किलोमीटर दूर ले गया।
- वहां अजीज को एक मारुति वैन दी गई।
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AK-47 की डिलेवरी और मुंबई ब्लास्ट :
- अबू सलेम ने देखा कि गाड़ी में पीछे साइड नीचे की ओर कोई लकड़ी का बॉक्स रखा हुआ था।
- उसे लगा कि इस बॉक्स में सिल्वर रखा हुआ होगा, इसलिए उसने अजीज से कोई सवाल नहीं किया।
- सलेम उस मारुति वैन लेकर अंधेरी में अपनी दुकान के पास चला गया।
- अंधेरी में कोई बाबा चव्हाण आया और इस मारुति वैन में उसे बैठाकर बांद्रा में हनीफ और समीर के पास ले गया।
- वहां से हनीफ इसी मारुति वैन में सभी को बैठाकर बांद्रा में संजय दत्त के बंगले ले गया।
- अजीज ने सलेम से मारुति वैन वापस करने को कहा, जो उसने कर दी।
- सलेम ने इसके बाद अजीज से उस सिल्वर (चांदी) के बारे में पूछा।
- जिसे दिलाने के बहाने वह उसे भरूच ले गया था, तो उसने 2-3 दिन में इसे देने का भरोसा दिया।
- उसी दिन, अजीज ने सलेम से कहा कि वह अगले दिन संजय दत्त के पास जाए और उससे दो एके-47 लेकर इन्हें जैबूनिशा नामक महिला को डिलिवर कर दे।
- उसके बाद अबू सलेम अगले दिन हनीफ के पास गया और फिर उसके साथ संजय दत्त के बंगले गया।
- संजय दत्त ने एक बैग उन्हें (सलेम और हनीफ को) दिया, जिसमें दो एके -47 थीं।
- यह बैग बाद में जैबूनिशा को बांद्रा में माउंट मैरी स्थित उसके बंगले में दे दिया गया।
- अगले दिन अबू सलेम को अजीज द्वारा आदेश दिया गया कि वह जैबूनिशा के घर फिर जाए और उससे यह बैग वापस ले ले।
- सलेम पर आरोप है कि उसने इस बैग को अपने दोस्त मंसूर अहमद की ब्लू मारूति-1000 गाड़ी में कुर्ला में कल्पना टॉकिज के पास तीन दिन तक रखा।
- चूंकि वह इन हथियारों को अपने पास ज्यादा दिन रखना नहीं चाहता था, इसलिए उसने इस बैग को जोगेश्वरी में किसी अयूब पटेल को दे दिया था।
- इन हथियारों की डिलिवरी के तीन महीने बाद मुंबई में बम धमाके हुए थे।
- बम धमाकों के कुछ दिनों बाद संजय दत्त, बाबा चव्हाण, जैबूनिशा, अयूब पटेल, मंसूर अहमद, हनीफ और समीर पुलिस द्वारा पकड़ लिए गए थे।
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ब्लास्ट के बाद लखनऊ और वहां से दुबई भागने की कहानी :
- 1993 बम ब्लास्ट के बाद अजीज ने अबू सलेम को कॉल किया।
- कहा कि वह अपनी दुकान से फौरन भाग जाए और माहिम में उससे मिले।
- माहिम में मुलाकात के बाद अजीज ने उससे कहा कि यदि वह गिरफ्तार हुआ, तो उसका भी नाम आएगा।
- इसलिए उसने सलेम को यूपी में अपने गांव भाग जाने की सलाह दी।
- वह यूपी तो भागा, लेकिन आजमगढ़ नहीं गया, बल्कि उसने लखनऊ के गोमती नगर इलाके में किराए का घर ले लिया।
- यहां वह अपनी पहली पत्नी समीरा के साथ करीब 6 महीने तक रहा।
- इस दौरान वह लगातार अजीज से संपर्क में रहा, जो उस दौरान मुंबई से दुबई शिफ्ट हो गया था।
- अजीज ने सलेम को दुबई आने की सलाह दी।
- उसी ने सलेम और समीरा के सन 1993 के आखिरी दिनों में फर्जी नाम से पासपोर्ट बनवाए।
- सलेम पत्नी के साथ दिल्ली के रास्ते दुबई भाग गया।
- दुबई एयरपोर्ट पर अजीज ने ही सलेम को रिसीव किया और ‘पर दुबई’ एरिया में अपने घर ले गया।
- जो वहां के किंग विडियो शो रूम के ठीक ऊपर था।
- अबू सलेम की पुर्तगाल में गिरफ्तारी और फिर भारत में उसके प्रर्त्यपण के बाद ऐसा कहा जाता है कि अजीज दुबई से फिर अमेरिका शिफ्ट हो गया।
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पुर्तगाल से हुई 2002 में गिरफ्तारी :
- 1993 मुंबई ब्लास्ट के बाद अबू सलेम पुर्तगाल भाग गया था।
- उसे 2002 में पुर्तगाल से गिरफ्तार किया गया।
- 11 नवंबर 2005 में अभिनेत्री मोनिका बेदी के साथ भारत प्रत्यर्पित किया गया।
- पुर्तगाल ने अबू सलेम का प्रत्यापर्ण करने के लिए शर्त रखी थी।
- पहला शर्त उसे फांसी की सजा नहीं होगी।
- दूसरा शर्त उसे 25 साल से अधिक की सजा नहीं होगी।
- तीसरी शर्त ये थी कि उसे किसी तीसरे देश को प्रत्यर्पित नही किया जायेगा।
- उसे 8 मामलों में आरोपी बनाया गया।
- आज टाडा कोर्ट ने ब्लास्ट में दोषी करार अबू सलेम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
- बिल्डर प्रदीप जैन मर्डर केस में उसे सन 2015 में टाडा कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है।
- गौरतलब है कि अगर भारत पुर्तगाल प्रत्यपर्ण संधि का पालन करेगा तो अबू सलेम को 25 साल से अधिक की सजा नहीं हो सकती है।
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