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NSG में शामिल होने की पाक की कोशिश को अमेरिका कर रहा नाकाम    

US sanctions 7 Pakistani companies for 'nuclear trade'

US sanctions 7 Pakistani companies for 'nuclear trade'

अमेरिका का रोष झेल रहे पाकिस्तान के मंसूबों पर एक बार फिर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पानी फेर दिया है. ट्रम्प प्रशासन ने न्युक्लियर ट्रैड को बढ़ावा देने वाली 7 पाकिस्तानी फर्म्स पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. यह कम्पनियां अमरीका की सुरक्षा और पॉलिसी के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। 

पाकिस्तान की 7 फर्म प्रतिबंधित

यह कंपनियां परमाणु हथियारों के कारोबार में अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकती हैं. अमेरिका के इस कदम से पाकिस्तान के  न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में शामिल होने के सपना टूट सकता है.

माना जा रहा है कि अमेरिका इस तरह लगातार पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. इससे पहले भी अमेरिका जनवरी में पाकिस्तान को दी जाने वाली 2 अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता पर रोक लगा चुका है.

अमेरिका ने 23 कम्पनियों की सूची तैयार की है, जिसमे पाकिस्तान की 7 फर्म्स के अलावा दक्षिणी सूडान की 15 कम्पनियां और एक कम्पनी सिंगापूर की है. लिस्ट में शामिल होने के बाद इन फर्म्स को निर्यात पर रोक जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

अमेरिका के प्रतिबन्ध के बाद सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान को NSG में शामिल होने की कोशिश में लगा है. पाकिस्तान 19 मई 2016 को NSG में शामिल होने के लिए अप्लाई कर चुका है. चीन और तुर्की पाकिस्तान की मेंबरशिप का सपोर्ट भी रहे है.

क्या है NSG

NSG न्यूक्लियर सप्लायर देशों का एक समूह है. मई 1974 में भारत में परमाणु हथियार का परीक्षण किए जाने के बाद NSG की स्थापना की गई थी. NSG में अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन समेत 48 सदस्य हैं. एनएसजी का मकसद परमाणु हथियार के प्रसार को रोकना है. इसके अलावा इसमें शांतिपूर्ण काम के लिए ही परमाणु सामग्री और तकनीक की सप्लाई की जाती है. न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप आम सहमति से काम करता है. सबसे अहम बात एनएसजी सदस्य के लिए परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर जरूरी है.

अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों ने भारत का इस ग्रुप में शामिल होने के लिए समर्थन किया था. इसके बाद पाकिस्तान ने भी इसमें शामिल होने के लिए कोशिशें शुरू कर दी थीं.

 

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