उत्तराखण्ड के सियासी इतिहास में खास होगा आज का दिन।
Rupesh Rawat
उत्तराखण्ड में उपजे सियासी घमासान में अब सरकार और बागी विधायक वक्त को अपनी तरफ मोड़ने का प्रयास कर रहें हैं। दोनों के लिए 28 मार्च की डेडलाइन है। सरकार इस डेडलाइन से पहले बागी नौ विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की कोशिश में है और विरोधी खेमा सत्ता पक्ष की इस कोशिश को नाकाम करना चाहता है।
शुक्रवार को बागी विधायकों ने दल बदल कानून के तहत जारी किए गए नोटिस के खिलाफ कानूनी मोर्चा खोल दिया।
दल बदल कानून के तहत कार्रवाई को टालने की कोशिश में जुटे बागी विधायक।
हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद अब बागी खटखटाएंगे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा।
कांग्रेस के नौ विधायकों के पास सुप्रीम कोर्ट का ही रास्ता बचा है। 27 तक सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की कोशिश इन विधायकों की ओर से होगी।
पुलिस ने सदन से लेकर शहर तक में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये हैं।
अंदेशा है कि भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ता आपस में उलझ सकते हैं।
विधानसभा के पास किसी दल के कार्यकर्ता नहीं जा सकेंगे।
सरकार को 28 मार्च को सदन में बहुमत साबित करना है और उसकी रणनीति में बागी कांग्रेस के विधायकों की सदस्यता को समाप्त करने की महत्वपूर्ण भूमिका है। लिहाजा इस फ्रंट पर कोई भी अड़ंगा सरकार किसी कीमत पर 28 से पहले लगने देना नहीं चाहती।